बगुला के पंख बात करता था, न विपक्षियों से। सबकी बात सुनकर वह केवल मुस्करा भर देता था। कल जांच-आयोग सब कागज़ात की जांच करेगा । जुगनू से जिरह होगी, पूछताछ होगी। और आज रात को अकस्मात् ही आफिस में आग लग गई। बहुत यत्न करने पर भी सब कागज़ात जलकर खाक हो गए। अखबारवालों ने शोर मचाकर आसमान सिर पर उठा लिया। बहुत-बहुत झंझट हुआ । पर जुगनू का कोई अपराध प्रमाणित नहीं हुआ। लाला फकीरचन्द भी साफ छूट गए । रिहा होने पर उन्होंने पालियामैंट के सदस्यों को एक दावत दी । दावत में सरकारी नीति की कड़ी आलोचना की गई। देश के सच्चे एकनिष्ठ सेवकों की छीछालेदर करने की निन्दा की गई। इस प्रकार जुगनू नवाब के सत्परामर्श से इस आग में तपकर खरा सोना प्रमाणित हुआ। लाला फकीरचन्द और जुगनू इधर तीन महीने तक जांच-आयोग के सिल- सिले में सारे शहर में चर्चा का विषय बन गए थे। पत्रों में उनपर अनुकूल- प्रतिकूल टिप्पणियां छपी थीं। उनके परस्पर अनेक सम्बन्ध जोड़े जा रहे थे कि उस नाटक पर पटाक्षेप होते ही जुगनू का डाक्टर खन्ना की पुत्री से विवाह होने की धूम मच गई । यह भी प्रकट हुआ कि जुगनू लाला फकीरचन्द के भांजे रिश्ते में होते हैं । इस विवाह को लेकर भी अनेक अनुकूल-प्रतिकूल टिप्पणियां जानकार क्षेत्रों में हो रही थीं। उधर लाला फकीरचन्द सोलह आने लड़के के बाप का पार्ट अदा कर रहे थे । विवाह की धूमधाम साधारण न थी। गिरफ्तारी और झगड़े-टंटे की सारी ही खीझ लाला फकीरचन्द ने इस विवाह की धूमधाम पर उतारी थी। उनके चांदी के जूते में कितना ज़ोर है, यह जिसका जी चाहे आकर देख ले । लाला फकीरचन्द अब खुले खज़ाने डंके की चोट यही कह रहे थे। बारात बड़े ठाठ से चांदनीचौक में चढ़त होकर निकली। चढ़त में सरकारी बैण्ड, पांच हाथी, अनगिनत मोटरों का तांता था । लगभग सभी मिनिस्टर, एम० पी० और प्रतिष्ठितजन इस मिनिस्टर के विवाहोत्सव में सम्मिलित थे और
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