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पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१२९

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मंजिन २. घात । पंजिन-संज्ञा पुं० दे० "इंजन" । ऍड़ा बेड़ा - वि० उलटा-सीधा । एड़ी -संज्ञा स्त्री० १. एक प्रकार का रेशम का कीड़ा जो श्रंडी के पत्ते खाता है । २. अंडी | मूगा । संज्ञा स्त्रो० दे० "एड़ी" । ऍडश्रा-संज्ञा पुं० [ खो० अल्पा० ऍडई ] गैडुरी । ए - संज्ञा पुं० विष्णु । अव्य० एक अव्यय जिसका प्रयोग संबोधन या बुलाने के लिये करते हैं ।

  • सर्व० यह ।

एकंग - वि० अकेला । एकंगा - वि० [स्त्री० एकंगी] एक प्रोर का । एकंत - वि० दे० "एकांत" । एक - वि० १. एकाइयों में सबसे छोटी और पहली संख्या । २. श्रद्वितीय । ३. कोई । ४. तुल्य । एकचक्र - संज्ञा पुं० १. सूर्य का रथ । २. सूर्य । वि० चक्रवर्ती | एकछत्र - वि० जिसमें कहीं और किसी दूसर का राज्य या अधिकार न हो । क्रि० वि० एकाधिपत्य के साथ । संज्ञा पुं० वह राज्य प्रणाली जिसमें देश के शासन का सारा अधिकार अकेले एक पुरुष को प्राप्त होता है । वि० एक ही एकड़ - संज्ञा पुं० पृथिनी की एक माप । एकत:- क्रि० वि० एक ओर से । एकतरफा - वि० १. एक ओर का । २. पक्षपातग्रस्त । एकता -संज्ञा बी० १. मेल । २. समा- नता । १२१ वि० बेजोड़ | एकलिंग एकतान - वि० १. एकाग्रचित्त । २. मिलकर एक । पकतारा--संज्ञा पुं० एक तार का सितार या बाजा । एकतालीस - वि० चालीस और एक । एकतीस - वि० गिनती में तीस और एक । एकत्र क्रि० वि० इकट्ठा । एकत्रित वि० दे० "एकन" । एकनयन - वि० काना | । संज्ञा पुं० १. कौवा । २. कुबेर । एकनिष्ठ - वि० ० एक ही पर श्रद्धा रखने- वाला । एकनी - संज्ञा स्त्री० निक्ल धातु का एक थाने मूल्य का सिक्का । एकबारगी - क्रि० वि० १. एक ही दफे में । २. अचानक । एकबाल - संज्ञा पुं० १. प्रताप । २. भाग्य | एकभुक्त - वि० जो रात - दिन में केवल एक बार भोजन करे । एकमत - वि० एक राय के । एकमात्रक - वि० एक मात्रा का । एकमुखी- - वि० एक मुँहवाला । एकरंग - वि० १. समान । २. जो चारों ओर एक सा हो । एकरदन - संज्ञा पुं० गणेश । एकरस - वि० एक ढंग का । एकरार - संज्ञा पुं० १. स्वीकार । २. प्रतिज्ञा । एकरूप - वि० समान श्राकृति का । एकरूपता - संज्ञा स्त्री० समानता । एकला - वि० दे० "अकेला" । एकलिंग-संज्ञा पुं० शिव का एक नाम ।