एकलौता किसी प्रकार एकलौता - वि० [स्त्री० एकलौती ] अपने - का एक ही ( लड़का ) । एकवचन - संज्ञा पुं० व्याकरण में वह वचन जिससे एक का बोध होता हो । एकवेणी - वि० १. जो (स्त्री) एक ही चोटी बनाकर बालों समेट ले । २. विधवा । एकसठ - वि० साठ और एक । एकसाँ - वि० बराबर । समान । एकहत्तर - वि० सत्तर और एक । एकहत्था - वि० जो एक ही के हाथ में हो । एकहरा - वि० [स्त्री० एकहरी ] एक परत का । एकांग - वि० जिसे एक ही श्रंग हो । एकांगी - वि० १. एकतरफा । २. ज़िद्दी । एकांत - वि० निर्जन । संज्ञा पुं० निराला । एकांतता - संज्ञा स्त्री० अकेलापन | एकांतवास - संज्ञा पुं० [वि० एकांत- वासी ] निर्जन स्थान या अकेले में रहना । एका संज्ञा श्री० दुर्गा | संज्ञा पुं० मेल । एकाई -संज्ञा स्त्री ० १. एक का भाव । २. श्रंकों की गिनती में पहले शंक का स्थान । एकाएक क्रि० वि० अकस्मात् । एकाकार - संज्ञा पुं० एकमय होना । वि० समान । एकाकी - वि० [स्त्री० एकाकिनी] अकेला । एकाक्ष - वि० काना । संज्ञा पुं० १. कौश्रा । २. शुक्राचार्य्यं । एकाक्षरी - वि० एक अक्षर का । एकाग्र - वि० [संज्ञा एकाग्रता ] चंचलता- रहित । १२२ के एतयू एकाग्रचित्त - वि० स्थिरचित्त । एकाग्रता - संज्ञा स्त्री० श्रचंचलता । एकात्मता - संज्ञा स्त्री० एकता । एकादश - वि० ग्यारह । एकादशी-संज्ञा स्त्री० प्रत्येक चांद्र मास शुक्ल और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि जो व्रत का दिन है । एकाधिपत्य- संज्ञा पुं० पूर्ण प्रभुत्व । एकार्थक - वि० समानार्थक | एकीकरण - संज्ञा पुं० [ वि० एकीकृत ] मिलाकर एक करना । एकीभूत- वि० मिश्रित । एक तरसो- वि० एक से एक । एकोद्दिष्ट (श्राद्ध) -संज्ञा पुं० वह श्राद्ध जो एक के उद्देश से किया जाय । एकै झा* +- वि० अकेला । एक्का - वि० श्रकेला । संज्ञा पुं० १. एक प्रकार की दो पहिए की गाड़ी जिसमें एक बैल या घोड़ा जाता जाता है । २. ताश या गंजीफे का वह पत्ता जिसमें एक ही बूटी हो । एक्की । एक्कावान -संज्ञा पुं० एक्का हाँकनेवाला । पक्की - संज्ञा स्त्री० १. वह बैलगाड़ी जिसमें एक ही बैल जाता जाय । २. ताश या गंजीफे का वह पत्ता जिसमें एक ही बूटी हो । यक्का । एक्यानबे - वि० नब्बे और एक । एक्यावन - वि० पचास और एक । एक्यासी - वि० अस्सी और एक । एखनी - संज्ञा स्त्री० मांस का रसा या शोरबा | एड़-संज्ञा स्त्री० एड़ी । एड़ी-संज्ञा स्त्री० टखनी के पीछे पैर की गद्दी का निकला हुआ भाग । एतदू - सर्व ० यह ।
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