कोऊ ३. कोऊ + * - सर्व० दे० " कोई" । कोक-संज्ञा पुं० [स्त्री० कोको ] १. चकवा पक्षी । २. विष्णु । मेंढक कोककला - संज्ञा स्त्री० रति-विद्या । कोकदेव - संज्ञा पुं० कोकशास्त्र या रतिशास्त्र का रचयिता एक पंडित । कोकनद - संज्ञा पुं० १. लाल कमल । २. लाल कुमुद । कोकनी - संज्ञा पुं० एक प्रकार का रंग । वि० छोटा | कोकशास्त्र -संज्ञा पुं० कामशास्त्र । कोकावेरी, कोकाबेली -संज्ञा स्त्री० नील कुमुदिनी । कोकिल - संज्ञा स्त्री० कोयल चिड़िया । कोकिला - संज्ञा स्त्री० कोयल | कोकीन, कोकेन - संज्ञा स्त्री० कोका वृक्ष की पत्तियों से तैयार की हुई एक प्रकार की मादक औषधि या विष जिसे लगाने से शरीर सुन्न हो जाता है कोको संज्ञा स्त्री० कौश्रा । लड़कों को बहकाने का शब्द | कोख -संज्ञा स्त्री० १. उदर । २. गर्भाशय । कोच -संज्ञा पुं० एक प्रकार की चैप- हिया बढ़िया घोड़ा गाड़ी । २. गद्दे- दार बढ़िया पलंग, बेंच या कुरसी । कोचवान-संज्ञा पुं० घोड़ा गाड़ी हकिनेवाला । कोजागर - संज्ञा पुं० आश्विन मास की पूर्णिमा । कोट-संज्ञा पुं० दुर्ग | संज्ञा पुं० समूह | संज्ञा पुं० अँगरेज़ी ढंग का एक १८४ पहनावा । कोढ़ी पेड़ का खोखला आस-पास का रक्षा के लिये कोटपाल - संज्ञा पुं० दुर्ग की रक्षा करनेवाला | कोटर - संज्ञा पुं० १. भाग । २. दुर्ग के वह कृत्रिम वन जो लगाया जाता है। कोटि-संज्ञा खो० १. धनुषे का सिरा । २. अ की नाक या धार । ३. श्रेणी । ४. समूह | वि० करोड़ | कोटिक - वि० १. करोड़ । २. अन- गिनत । कोटिशः - क्रि० वि० अनेक प्रकार से । do बहुत अधिक | कोठरी - संज्ञा स्त्री० छोटा कमरा । कोठा - संज्ञा पुं० १. बड़ी कोठरी । २. अटारी । ३. उदर । कोठार - तंज्ञा पुं० भंडार कोठारी-स - सज्ञा पुं० वह अधिकारी जो भंडार का प्रबंध करता हो । भंडारी । कोठिला - संज्ञा पुं० दे० "कुठला " । कोठी - संज्ञा स्त्री० १. बड़ा पक्का मकान | २. बंगला । ३. गर्भाशय । संज्ञा स्त्री० उन बसों का समूह जो एक साथ मंडलाकार उगते हैं । कोठीवाल - संज्ञा पुं० १. महाजन । २. बड़ा व्यापारी । कोड़ना - क्रि० स० खोदना । कोड़ा - संज्ञा पुं० चाबुक कोड़ी-संज्ञा स्त्री० बीस का समूह । कोढ़-संज्ञा पुं० [वि० कोढ़ी ] एक प्रकार का रक्त और त्वचा संबंधी रोग जो संक्रामक और घिनौना होता है । कोढ़ी - संज्ञा पुं० [स्त्री० कोदिन ] कोढ़ रोग से पीड़ित मनुष्य ।
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