पृष्ठ:बा और बापू.djvu/१७

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16 बा और बापू मैं चली ।" बापू ने गुस्सा होकर 'बा' का हाथ पकडा, उन्हें जीने से दरवाजे तक खींच लाए और आधा दरवाजा खोल दिया । आसुओ का मेंह बरसाती हुई 'बा' ने कहा, "तुम्हें तो शम नही, पर मुझे है । जरा शर्म करो, मैं बाहर निकलकर जाऊ कहा। यहा मा-बाप भी तो नहीं कि उनके पास चली जाक। मैं औरत ठहरी । इसलिए मुझे तुम्हारी चपत खानी ही होगी। अब तनिक शर्म करो और दरवाजा बंद कर लो। कोई देखेगा तो फजीता होगा।" बापू ने लज्जित होकर दरवाजा बन्द कर लिया।