पृष्ठ:बा और बापू.djvu/२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

20 वा और बापू "तुमने तो सभी कुछ ला दिया था, पर मैंने उसका उपयोग कब किया? देख लिया, तुम्हारा रास्ता जुदा है, तुम्हें तो साधु- सन्यासी बनना है, तो फिर में शोक मनाकर क्या करतो? तुम्हारी तबीयत को जान लेने के बाद मैंने अपने मन को मना लिया।" 'बा' ने गम्भीर मुद्रा मे उत्तर दिया।