पृष्ठ:बा और बापू.djvu/६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

जीवन एक खेल बापू की दृष्टि मे जोवन एक खेल था। वे सदा हसते रहते थे । उनका वासस्थान सदा हास्य से मुखरित रहता था । वे बडे विनोदी थे, विनोद ही में वे बहुधा कभी-कभी शिक्षा दे देते थे । उनका मस्तिष्क सदैव ताजा रहता था । शरीर थक जाने पर भी दिमाग नही थकता था। 79 वर्ष की आयु मे उनकी स्मरण शक्ति और मेधा अत्यन्त तीव्र थी। अपने शरीर, मन और वचन पर उनका भरपूर नियन्त्रण था । वे बडे भारी सयमी थे। स्त्री-पुरुष का भेद-भाव उनकी दृष्टि में था ही नहीं।