पृष्ठ:बिखरे मोती.pdf/११

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[भूमिक
 


छुट्टी मिल जाती है । परन्तु दो-चार कहानियाँ लिखने के पश्चात् उसकी गाड़ी सबसे पहले उसी मार्ग पर अटकती है जिसे यह सबसे सरल समझ रहा था-अर्थात् प्लाट । जिन दो-चार प्लाटों के बल पर उसने अपने लिए कहानी लेखन विषय निश्चित किया था जब वे समाप्त हो जाते हैं तब उसे प्लाट ढूँढे नही मिलता । उस समय उसे पता लगता है कि कहानी-लेखन उतना सरल नहीं है जितना उसने समझ रक्खा था । परन्तु एक भ्रम दूर होते ही दूसरा भ्रम पैदा हो जाता है। कहानी-लेखन बड़ा सरल है-यह भ्रम तो दूर हो गया, परन्तु उसके साथ ही यह भ्रम आ घुसा कि अभ्यस्त लेखक या तो प्लाट कहीं से चुराते हैं या फिर उनके कान में ईश्वर प्लाट फूँक जाता है । पहले तो नया लेखक इस बात की प्रतीक्षा करता है कि कदाचित् उसके कान में भी ईश्वर प्लाट फूँक जायगा,परंतु जब उसे इस ओर से निराशा होती है तब वह दूसरी युक्ति ग्रहण करता है । अन्य भाषा के पत्रों से प्लाट चुरा कर उसे तोड़-मरोड़ कर कहानी तैयार कर दी । बहुत से तो हिन्दी में ही निकली हुई कहानियों का रूप बदलकर उन पर अपना अधिकार जमा लेते हैं ।

नया लेखक यह बात नहीं समझ सकता कि अभ्यस्त लेखक प्लाट गढ़ते हैं, उनकी रचना करते

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