पृष्ठ:बिखरे मोती.pdf/१८५

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[अनुरोध
 


आज जाना भी तो है । अव आप इन्हें देख लीजिए; दो-तीन घंटे का काम है; बस ।”

निरंजन मुस्कुराते हुए बोले-“क्यों, आप मुझसे नाराज़ हो गई क्या ? आप मुझे इतनी जल्दी क्यों भेजना चाहती हैं ? में आराम के साथ चला जाऊंगा।

वीणा ने निरंजन पर एक मार्मिक दृष्टि डालते हुए कहा-“निरंजन जी ! मैं नाराज़ होऊँगी आपसे ? क्या आपका हृदय इस पर विश्वास कर सकता है ? मैं तो जानती हूँ कभी न करेगा; किन्तु जिस प्रकार आप इतने दिनों तक मेरे अाग्रह से रुके रहे, उसी प्रकार मेरे अनुरोध से आप आज रात को गाड़ी से चले जाइए।"

निरंजन ने दृष्टि उठाकर एक बार वीणा की ओर देखा; फिर वह अनुवाद की हुई रुवाइयों को देखने लगे।

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