पृष्ठ:बिखरे मोती.pdf/२०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
बिखरे मोती]
 


फैजू ने मुस्कुरा कर कहा-दोनों काम करने भौजी ! पर पहिले बटनें तो टाँक दो; नहीं तो देरी हो जायगी ।।

सोना सुई-तागा लाकर बटन टाँकने लगी। फैजू वहीं फर्श पर सोना से जरा दूर हटकर बैठ गया है।

[ ६ ]'

गाड़ी तीन घंटे लेट थी। विश्वमोहन ने सोचा यहाँ बैठे-बैठे क्या करेंगे? चले जब तक घर में हो वैठकर आराग करेंगे । सामान स्टेशन पर ही छोड़कर, स्टेशन मास्टर की साइकिल लेकर विश्वमोहन घर पहुँचे । बैठक में फैजू को सोना के पास बैठा देखकर उनके बदन में आग- सी लग गई। वे क्षण भर चहीं खड़े रहे । परन्तु इस द़ृश्य को वे गवारा न कर सके। अपने गुस्से को चुपचाप पीकर अन्दर, आए; माता के पास बैठ गए ! सोना से पति की नाराजी छिपी . न रही । ज्यों-त्यों किसी प्रकार वटन टाँक कर कुरता फ़ैजू को देकर वह अन्दर आई । सोना ने स्वप्न में भी न सोचा था कि यह जरा- सी बात यहां तक बढ़ ज्ञायगी । पति का चेहरा देख कर चह सहम-सो गई। उनकी त्योरियाँ चढ़ी हुई, चेहरा स्याह, और अखें कुछ गीली थीं। सीना अन्दर आई।

१८७