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मझली रानी ]

रिणी की हालत न सुधर सकीं; और एकदिन उसने अपनी जीवन-लीला समाप्त कर दी । उसके अन्तिम सस्कारों से निवृत्त होकर में मास्टर बाबू के साथ उनके बंगले में रहने लगी। किन्तु में अभी तक नहीं जान सकी कि वे मेरे कौन हैं? वे मुझ पर माता की तरह ममता, पिता की तरह प्यार करते हैं, भाई की तरह सहायता और मित्र को तरह नेक सलाह देते हैं। पति की तरह रक्षा और पुत्र की तरह आदर करते हैं; कुछ न होते हुए भी वे मेरे सब कुछ हैं; अऔर सब कुछ होते हुए भी वे मेरे कुछ नहीं हैं।

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