पृष्ठ:बिरजा.djvu/२९

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 गाल पर हाथ रखकर सोचने का कारण नहीं पूछना पड़ा उसने इस समय पहिचान लिया कि नवीन का देह जल में पड़ा है। भव उन रव से रोने को उद्यत हुई पर गोविन्द ने उसके मुंह पर हाथ धर कर रोने को निषेध कर दिया, भव नहीं रोई।

कियत्क्षण पीछे घर के सब लोगों ने ही जान लिया कि नवीन जल में डूबकर मर गई, और देखा गया तो बिरजा भी नहीं है उसका टीन बक्स खोलकर देखा गया, तो उसके गहने का डिब्बा भी नहीं है। तब तो स्पष्ट जाना गया कि बिरजा भाग गई है । बिरजा जब भाग गई है, तब उसी से नवीन का प्राण नाश हुआ है। गंगाधर उस रात्रि में बाहर सोया था, उसने कहा मैंने नवीन और बिरजा को रात्रि में खाली हाथ में लेकर घाट पर जाते देखा। तब तो सभी को विश्वास हो गया कि बिरजाही नवीन को मारकर, गेर कर, भाग गई। गंगाधर आपही थाने में सम्वाद देने गया। गांव के सब लोगों ने जाना। नवीन का देह पुष्करिणी में तैरने लगा। प्रहरी लोग कूल पर बैठकर पहरा देने लगे।

गृहिणी शोक करने लगी, उन्होंने सोचा मैं उस पापिनी को क्यों घर में लाई। इससे मेरा सर्वनाश हुआ। कुल में कलङ्क लगा। हमारे घर में जो कभी नहीं हुआ वह हुआ।