९. विरहवारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा । देशकों । सुनियेनतहां कलेशकों।ममवेद वृत्तिवखानिये। नर- नाह पूजितजानिये॥ (राजाबचन) तो०,०। दिजक्यों तज्यो वह देश । युतधर्मनीकनरेश॥ तबमाधवाकहि येह । ममकर्म करसनेह ।। दसदिनकेसाथीहोत हाथीहथियारयारतातमात सोडरनली नहिं काकही । सुदिनके साथी राजाराउखानसुलतान मानया वितानतब पालककीलही ॥ बोधाकबि सुदिन सभापति भये तो आपत्ति अनयास सुखप्रापत कहीं नहीं। बदनसपूती औ कपूती यों तादिन अहेअदिन परै नीर नदिनमें रहैनहीं। सी तासी कुमारी रामचन्दसे क्षितीशभजवीशदशशीश तिनआ- फतै घनीसहीं । डोमघरपानीमखो राजाहरिचन्द्र बली बलिरा. यकी कहानी बेदमें कहीं ॥ बोधाकवि पंचवीर पांडवापराई पौर द्रौपदी सभामें दूशाशनखड़ेगहीं। वादिन सपूती औ कपूती तादिनहै अदिन परेतेनीर नदिन रहैनहीं। दो. योंसुनि गुनि निज चित्तमें पुनिबूझीनरयेह । कहागरज चितचाहकर गवन कियोयहदेश । सुनि सुभान माधोकह्यो नृपपै सब विरदंत । पुडपावति कामावती दुखीभयो तिहि तंत ।। सुनि सुभानराजाकयो सुनुमाधौगुणवान । कामकंदला नटीसों प्रीति करी काजान ।। चौ. माधौकह्यो सुनोनरनायक। चितकीलगीहोतसवलायक ॥ रूपकुरूप प्रवीन अयानो । वह सरस जासों मनमानो। (राजाबचन) प्रथमविप्र पुनिवेदबखानत । कथापुराण नाद बिधिजानत ॥ हरिहरभजन तुम्हारे लायक । बंश अठारह के तुमनायक ॥ प्रगटसाख सिगरी जगजानी। कसलायकयह प्रीति बखानी ॥
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