. १२४ विरहवारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा। दिग्गज बीहलै करियोनकारन शोर । रणशूरमा हरपन लगे सुनखांखरोंकी घोर ॥ दो. निकस्यो कामावती से कामसैन नरनाथ । हैदरपैदर गजरथी एक कोटि लै साथ ॥ झूलना। सहजंग को गढ़ो भयो सजिकामसैननरेश । दस कोसकसो धरिकरि रच्योखेत सुवेश ॥दिशिवार को मुहराल- ग्योधने बरकनदाज। पुनिचार पंगत अश्वकी सजिबीचमें मह- राज ॥ तिन मध्यगजरथ ऊपरै धरिश्तन क्षत्रविशाल । नरना- थतितठादोभयो जड़िचारहू दिशिहाल ॥ पहुंचे न तीरकमान जिहि अस्थान कौनऊंबान । सरदार को तितराखिये यह राज- नीति प्रमान ॥ हरवल्ल मैदामल्ल लै करतुरीतीसहजार। कढिखेत में ठाडोभयो सिरनेतिधर तिहिबार ॥ उसओर विक्रमादित्य कोरंजोर सिंहपमार। उठिवाययों गलगाज के सत सातले अस. वार । जुरगये आतिहि रिसाय के मझियाय के दलदोय । वह कौन मैदामल्ल मेरे प्राय सन्मुख होय ॥ सुन बचन योरनजोर को यों को मैढामल्ल । हम चोरनाहिंन ताकि मोतनघाव प- हिलै घल्ल॥ नोटकछन्द । रनजोरकह्यो तुमचोरनहीं । रनचोरनको निकसे हमहीं।तुमघालहु घावसम्हार अबै। पुनिहोहु विनाशिरशैलसवै।। तब यों पुनि मैदामकह्यो। कुल्फबड़ी तुम काहिरह्यो। तुमघा- लो घाव गइनकरो। पुनितौ अमरापुर कोपधरो॥ छन्दद्रुविला। इकधूरिया मरहट्टा बलवानलीन्हेंठटारनजोरऊप- र श्रायोतिहिहनी शक्तीधाय ॥वह आडियो रंजोर व्यापो न रंचकतोर ॥ उन फेरलीन्ह कमान । तिहिहने वाइसबान ॥ते सबै बानबचाय। उठयोपमार रिसाय॥ उलकारखग्ग कराल।कियो धूरियाको काल॥ छन्दमोतीदाम । इतेक्षण बावनबीर प्रचंड । कयो रनजोरइते रनमंड । हन्योतिहि के शिरखग्गपमार।गयो बचिनेकु भयोनहिं
पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/१५२
दिखावट