पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/१५३

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विरहवारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा। १२५ बासाभयोअतिकोपितबावनबीरालग्योवर्षावर्षावनतीसावलीवल भद्रप्रचंड चँदेल । हन्योतबहीं तिहिकेशिरशैल।।गिरयोभुवनावन कर अतिशोर । जुस्यो रनमें तब भम्मनजोर ॥ अरेबलभद्र लखै किनमोहिं । विनाहथियार हनौशठतोहिं।। जुस्यो बलभद् इतैख- न आय। हन्योतिहि भन्मनखंजर घाय॥ गिरयो बलभद्रलख्यो विरसिंह। जुस्योरनमें भटमोर उलंघ॥ अरेसुन भंमन बावन पूत। भये तुम खींचिय वंशसपूत ॥ हत्योबलभदवलीममबीराहनीयव तो कहँबावनबीर ॥ इतैखन छूग्नसिंह बघेल । हन्योविरसिंहबली काँशेल । बच्योविरसिंह रह्योउठिसोय। गयेजुरघूरन दोय।। इतै बलवान बघेलेबीर । उतैलखि भाट महारणधीर ॥ लरैदोइ घूरन के घमसान। गये तिनके इकसाथहि प्रान ॥ इतै बिरसिंह बली पर आय । जुस्यो शिरनेतविहंडन राय ॥ हन्योतिहि के बिर- सिंहचँदेल । गयोलहि प्रान तीक्षणशैल ॥ लरथो चिरसिंहख- रोरनमाहँ । किये बिन प्रान हजारन काहँ ॥ जुस्योतिहि सो- रनभम्मन आय । हनदुइवीर हजारन घाय ॥ गिरेभुवएकहि साथहिदोय।रहीभुइँ शोणित आमिषमोय ॥ वलीनुप विक्रम कोभटधीर । जुस्योरन गोरसपूतहमीर ॥ छप्पय ।इतैवीर हम्मीर उतै भावामल गूजर । लरेबीर संग्रामकरें दोनोंदलऊजझुक २ उवाहत खग्ग मुंड बरषत वर्षाइमामभकति शोणितकुंडरुंडसफरीगूलरजिम॥किलकत भूतबैतालभनिकेटवीर सोरहसहस । उड़िगयोमुंड हम्मीको रुंडजुस्यो पुनिरनरहस ।। चलाहिंपरिघतखार कई हज्जार शैलशर । गिरत झंडपररंड मुंड परमुंडलगीझर॥तुगलयविनसुंडचावविनतरलतुरंगमाबिनबाहन असवाररुधिरधाराभय संगम ॥ हांकित मध्यहम्मीर जबभूतकिते सुरपतिचकितासबकटंकुट्टहटियो न फिरकानसेनदलकहकहत॥ छंदसुमुखी । कटक अपर कीन्हधर जब । जुरघोमैदामल्लबल तब ॥ लियेशूरसमरत्थ सत्थह । गहिय शूलपानहत्थह ॥इतहि वीर हम्मीर हकित । ईक सुनत पुरइतकंपित ॥ धराधर २ धर