पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/१५५

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चिरहवारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा। १२७ चौ० जुवायुद्ध दोनों ठहरायो । छत्रसिंह सन बाजू लायो॥ बूझ दुवौ नृपनसों लीन्हों । यही पटौ दोनों लिख दीन्हों। मैदा मल्ल युद्ध जोहारी। छत्र सिंहासन देवे नारी॥ जोरंजोर युद्ध में हारे । दैय छत्र उज्जैन पधारे। दो• दुहूं ओर अति शोर भोरन हाको रनजोर। सारधार वर्षा भई गजनकी कदई घोर ॥ छंदमोतीदाम । जुस्यो रणमेरंजोर भकोर।गयोभटवीरहजा- स्नफोराइतसुरकी लखिहौ गरराय । हजारनजानतयुडउपाय ।। अहे रंजोर पमार समर्थ । इतै पल एक करै कित हत्थ ॥ अड़ो. तिहि सों रंजोरपमार। चल्योदुहुंओरघन्यो हथियार॥वली नृप विक्रमको प्रतिहार । कह्यो रन पूरन मल्ल खंगार ॥ महाबल- वान हुसैनपठान । हन्यो सुरकी उरतीक्षन बान॥ गिरयो रणड़ों- गररायनिहार । जुस्यो सुरकी घनसिंहपमाराइतैलखि गौड़बली अनरुद्ध । लिये करखग्ग कियो बड़युद्ध ॥ गियो धनसिंह घ- नेभटौर । मरेसतसत्तर एकहिठौर ।। महावरगौडबलीपराय। जुस्यो रनवारिय उडमराय ॥ कह्योवह ओरहुसैनपठान । गही तश्वीरम देव कृपान । बड़ीपड़ सरझरी लखिसोय । भयोरनतो कहँआड़न कोय ।। असीसत समर्थ शूरसंहार । करीतिहिसोपुन बारियरार ॥ गयो कटवारिय २ जोर । चल्यो तबबीरमके अति कोह ॥ चल्यो हथियार जित मैढ़ामल्ल । गयोतहैवीरमके अति गल्ल ॥ तुरी उछार चढ्यो गज धाय। लयेमुख बीच हजारन छाय॥ हन्योगज औनुपकेर खवास । गिरे सतचालिस औतिह पासमस्यो तबबीरम देवसमर्थ । रहेअटकेहौदासेहत्थ ॥ सो० चढ्यो आन गजराज मैदामल्ल समर्थतव । उतय मारग लगाज कहयो भेड़ भजिजाय किन मैढ़ा हंसीबढाइ खाजी खूबपमारकी। सोरन रौरेकाहिके तो जोरपमारमें । दो भलीकही रंजोरतूयाजाने सबकोय ।