पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/४६

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बिरहबारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा। निजकरराखी कंदला कळु महलनते दूर ।। गुणस्वरूप ताकी क्रिया करवीतादिनप्रकास । जवमाधव नलआयह कामसैनके पास ॥ इतिश्रीबिरहबारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषाबिरही सुभानसम्बादे शापखंडेतृतीयस्तरंगः॥३॥ औवल इश्कनाम ॥ अथअगिलावखण्ड (चौथातरंग) दो। जैजैजै ब्रजराजश्री श्यामसच्चिदानंद। जै माता वृषभानता अभय करनजगवंद॥ सो । गढ़ा राजवरलेख गोंडसोमवंशी नृपति। महाराज वे एक उनसमनहीं अनेकनृप । (छन्दगीतिका) पुहुपावती पुरीबसै महाराज गोबिंदचंदकी । रचनावनी विचित्र जहांजनुपुरी है सुरइन्द्रकी ॥ बनबागकोटि तड़ागनृपसम महल सबहीके बने। गुणरूपदान प्रमानकोक्षिति पालसेनरवरगिने। (छंदपद्धरिका) पुहुपावतीनगरी विशाल । गोविंदचन्दलहि भूमिपाल ॥ बैठेसुपाटतब राजकाज । तबलसहिंमनहुँ सुरपति समाजासमरथ्थहथ्थजव गहतखग्गाशंकितअतंकथरहरतछग्ग।। झपति पतंगबडिरै निरंग । जवकोपि चढ़तभूपति तुरंग ॥ विदु. वा प्रवीण विद्याप्रकास । सो रहहिं सदाअवनशिपास ॥ अति शीलवन्त गुणज्ञानखानि । तिहिपुत्रमाधवा विप्रजानि ॥ दो। कृष्णपक्ष दशमीमघा मारगमास बखानि । विष्णुदास निजघरनिउर माधवजन्मसुज़ानि ।। चौ.सुनसुभानयारादिलदायक अवयहविरहनकथवेलायक। तजत शरीर क्षीणतिहिहोई । मनविराग बाधतहैसोई॥ तोहिंमोहिं अंतरपरजै है । कथनी कौनकाम यह ऐहै ॥ अहोमीत ऐसीजिनभाखो। कथकेकथान खण्डितराखो। ।