पृष्ठ:बिरहवारीश माधवानलकामकंदला.djvu/४७

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विरहवारीशमाधवानलकामकंदलाचरित्रभाषा। जोयहबिरहलूटतनजैहै । कथानिशानी जगमें रहि है ।। यातमन शकानहिं कीजै । पूरणप्रेम पंथजग दीजै ॥ (बिरहीवचन) (छंदसंयुत) जबतेजन्म बिजकेगेह । रतिपतिलयो शापसनेह ॥ तवते चित्र घरानन्द । अतिहित-करत गोविन्दचन्द ॥ ज्यों२ बूड़त मन- मथआव । त्योरूपगुन भरपाव ॥ बोलनहँसन चलन चितौन। तासोंमोह बाँधेकौन ॥शुभ २ करी बरषेचार । हर्षेतात मात नि- हार। सुन २ नाइवेद बखान । माधवदैन लाग्योकान ॥ पंचम बर्षजान बिहात । तबब्रत बंधकीन्हों तांत ।। कछु दिनविन अप- ने गेह। पढ़बेको कियो अतिनेह ।। छंदपद्धार। उठिपात करैमज्जनबिचार। पुनिपाठ बेदप्रभुध्यान धार ॥ तबतात साथनृपपासजात । महराजताहि देखेसिहात। अतिरुचिरनग माधवाप्रवीन । कदिवसगयेकरबीन लीन ॥पुनि लखनलिख्योदिशिचारधाइ । वैठेयकन्त कछुमजापाय॥इकदिव- सशम्भु बाटिकामाहँ। देख्योविप्र तेहिवालकाहतियसखिनसाथ छविकीनिकेत । लहलहीबैस ललितासुचेत ॥ अतिचतुरशम्भुके पास आय । कीन्होंप्रणाम शरणेसुधाय ॥ तिहिवेग माधवानल्ल बीर। शिवधाम लखीतियई न भीर ॥ जनुशशि समूहमंदिरउ- दोत । शिवधाम सुभगजगमगत जोत॥नवबैस सबैसोहकुमार। भयोमस्तमाधवानल निहार ।। धरकंधबीण परकमललीन । चल भावतिया के हाथदीन ॥ पुनि बीण साज माधव अइंग । शिव शरणध्याय गायोषडंग।। यद्यपि कुमारिका कामहीन । तद्यपि बियोगकीन्हीं अधीन ॥ तेरहीमाधवा में समाय । छबिनिधिअ- थाहमें गोतखाय ॥धवार सियामोध्यान आदि । तियचकित भईजगजानुबाद ॥ इतरहयो माधवाचकितहोय। विषहरवियोग केमैरमोय ।। समुखी सुआयतियपायधार। कहिखबरदारहोवै क- मार ॥ चलभौन बोगि लागीअबार । तुबजननि चित्तबाढ़ी बि- कार ॥ तियसुनत सखी के निठुरखैन । लखिरही मीततनु जल्द