पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/२९३

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२५०
बिहारी-रत्नाकर


२५० बिहारी-रत्नाकर है, तथापि [१] रूखी ( १. प्रीति के लोच से रहित । २. चिकनाई से रहित ) ही दिखाई देती है । | चिकनाई-भरे पात्र में रखने पर भी स्त्री ही रहना, यही विलक्षणता इस दोहे मैं कहीं इहिँ कॉ मो पाइ गड़ि लीनी मरेति जिवाइ । प्रीति जनावत भीति स मीत जु काढय आइ ॥ ६०५ ॥ ( अवतरण )-नायिका किसी नायक पर अनुरक़ है, और जी ही जी मैं दुखित है; क्योंकि उसको यह ज्ञात नहीं है कि वह नायक भी उसे चाहता है अथवा नहीं । एक दिन नायिका के पाँव में *टा गढ़ गया, जिसको उस नायक ने निकाला । निकालते समय नायक की चेष्टा से यह भय प्रकट हुआ कि कहीं नायिका को काँटा निकालने में कष्ट न हो । इस भाव से नायिका ने नायक की प्रीति लक्षित कर ली, अतः उसका वह संशय-दुःख छूट गया, और मिलने की आशा हो गई । यही वृत्तांत वह अपनी किसी अंतरंगिनी सखी से कहती है--- ( अर्थं )-[ मुझे कष्ट होने की ] भीति ( डर ) से [ सशंकित भावयुत होने के कारण अपनी ] प्रति जनाते हुए 'मीत' ( मित्र ) ने जो [ उसको ] आ कर काढ़ा ( निकाला ), [ से ] इस कॉट ने मेरे पैर में गड़ कर [ मुझे इस संशय-दुःख से कि नायक मुझसे प्रीति करता है वा नहीं ] मरते मरते जिला लिया ॥ नाँक चढ़ सीबी करै जितै छबीली छैल । फिरि फिरि भूलि यहै गहै प्यौं कैंकरीली गैल ॥ ६०६ ।। ( अवतरण )-नायक नायिका, दोन कहीं जा रहे हैं। मार्ग का एक भाग तो लोग के चलते चलते चिकना हो गया है, और दूसरा भाग *काला है । नायक, प्रेम के मारे, सुकुमारी नायिका को तो अरी दुरहुरी पर खिवाए जाता है, और स्वयं उसके साथ साथ चलने के कारण कैकड़ीखे भाग पर वाजता है, जिससे उसके पाँव में कंकड़ियाँ चुभती है। उसकी चेष्टा से यह बात ज्ञात कर के नायिका, प्रेमाधिक्य के कारण उसकी पीड़ा से पीड़ित हो कर, सीबी करती और नायक को उस मार्ग से चखने से बरजती है । नायक, उसका कहना मान कर, कुछ दूर तो इस प्रकार सिमट कर चलता है कि उसको कंकरियाँ न गईं, पर नायिका का वह नाक चढ़ा कर सीबी करना उसे ऐसा भा गया है कि वह फिर जान बूझ कर उसी कैंकले मार्ग पर इस प्रकार चलने लगता है, मानो वह भूल कर ऐसा करता है, जिसमें कि नायिका को यह समझने का अवसर न प्राप्त हो कि वह जान बुझ कर उसके चिढ़ाने तथा उसकी वह मोहिनी चेष्टा देखने के निमित्त ऐसा करता है, और वह फिर उसी प्रकार नाक चढ़ा कर सीबी करे । यही वृत्तांत कोई सखी किसी अन्य सखो से कहती है ( अर्थ )-[ वह ] छैल छबीली ( सजी धजी सुंदर ) [ नायिका प्रियतम के ] जितै’ १. लगि ( २ ) । २. मरत ( ३, ५ ) । ३. जनाउन ( ३, ५ )। ४. छबीले (५) । ५. त्यै त्यौं ( २ )। ६. पिय ( ३, ५ ) ।