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पृष्ठ:बिहारी-रत्नाकर.djvu/३६५

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बिहारी-रत्नाकर दोहों की अकारादि म्यूची

  • मानसिंह की टीका * | विहारी-रत्नाकर

ॐ | हरिप्रकाश-टीका * | लाल चंद्रिका रस-कौमुदी ३६६ ४०१ ६३८ ६८७ | ६७३। १२१ | १२० ४७२ ५२ १३१ । ६३४ | १८३ ! ६६५ ४८ ४८ ४४६ ४३३ | ४३३ ! ६४६ ७११ ७११६११ ६५१ ! ६५१ । २६७

  • ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ * * * * * * *

मोहें मां बात [य] यह बरिया यह विनसतु या अनुरागी याकै उर या भव-पारावार यो दल काढ़ यो दलमलियनु [ र ] रैंगराती रँगी सुरत-रंग रंच ने लवियति रनित-शृंग-घंटावली रवि बंदी रमन को रस की सी रुख रस-भिजए दोऊ रमसिँगार-मजनु रहति न रन रहि न सकी रहि न सक्यो रहि मुँहु फेरि रहिह चंचल १६५ १६४ ४७७ , ५४० | ४०६ | ३६५ १८३ | १८३ २६६ ३४५ : ६२ | ८३ ६६५ ! ६६५ ! ८२ १५५ ५३२ ४४८ ३९० : ३८८ : ५६५ : ५६० ५८६ | ५७६ २२१ २२४ : ६१३ ६१६ ६५० | ६४५ ३१६ ३१९ ३०२ ३४४ २१० २०६ २४३ ६४३ । ३९२ ४२६ १९८ १९४ ५१४ ५१४ ५५८ ४६ ४६ २०६ | ८० ८० ६०८ । ६२९ ७०३ ६६७ ६०२ ३४३ ३४४ ५५० | ५८६ | ५८५ | ५७८ ५४४ ४४३ ४४५ २६१ १४३ : ५२१ । ४३८ २५७ ५७७ : ५७७ ४९ : ३२४ | ८२] ७३ : ४८ ३६६ ! ३६५ : ४२१ | ४७६ | १२९ | १२२ { ४१४[Category:हिन्दी]]