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बिहारी-सतसई
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के कारण इसके) नँह में लगाई गई (मेहँदी) छुटी जाती है, एक क्षण के लिए भी तो इस मेहँदी को सूखने दो।

बाम तमासो करि रही बिबस बारुनी सेइ।
झुकति हँसति हँसि हँसि झुकति झुकि झुकि हँसि हँसि देइ॥३५८॥

अन्वय—बारुनी सेइ विवस वाम तमासो करि रही। झुकति हँसति हँसि हँसि झुकति झुकि झुकि हँसि हँसि देह।

बाम = युवती स्त्री। तमासो = तमाशा, भावभंगी। बारुनी = मदिरा। सेह = सेवन कर, पीकर। झुकि-झुकि = लचक के साथ गिर-गिरकर।

शराब पीकर बेबस हो वह युवती तमाशा कर रही है—विचित्र हावभाव दिखा रही है। (नशे के झोंक में) झुकती (लड़खड़ाकर गिरती) है, हँसती है, (फिर) हँस-हँसकर झुकती और झुक-झुककर हँस-हँस (खिलखिला) पड़ती है।

हँसि-हँसि हेरति नवल तिय मद के मद उमदाति।
बलकि-बलकि बोलति बचन ललकि ललकि लपटाति॥३५९॥

अन्वय—मद के मद उमदाति नवल तिय हँसि-सँसि हेरति बलकि बलकि बचन बोलति, ललकि ललकि लपटाति।

हेरति = देखती है। मद के मद = शराब के नशे में। उमदाति = झूमकर देखती है। बलकि-बलकि = उबल-उबलकर, उत्तेजित हो-होकर।

शराब के नशे में वह उन्मादिनी (मस्तानी) नवयुवती हँस-हँसकर देखती है। उमंग से भर-भरकर (अंटसंट) बातें करती है, और ललक-ललकार (उत्कंठापूर्वक) लिपट जाती है।

खलित बचन अधखुलित दृग ललित स्वेद-कन जोति।
अरुन बदन छबि मदन की खरी छबीली होति॥३६०॥

अन्वय—खलित बचन अधखुलित दृग स्वेद-कन जोति ललित बदन वरुन मदन की छबि खरी छबीली होति।

खलित = स्खलित, स्फुट, अस्पष्ट। स्वेद-कन = पसीने की बूँदें। अरुन = लाल। खरी = अत्यन्त। मद छकी = शराब के नशे में चूर।