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बिहारी-सतसई
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कत कहियत दुखु देन कौं रचि-रचि बचन अलीक।
सबै कहाउ रह्यौ लखैं भाल महाउर लोक॥४०७॥

अन्वय—दुख देन कौं रचि-रचि अलीक बचन कत कहियत। माल महाउर लीक लखे सबै कहाउ रह्यौ।

कत = क्यों। रचि-रचि = बना-बनाकर, गढ़-गढ़कर। अलीक = झूठ। कहाउ = कहना, कथन। भाल = मस्तक। लीक = रेखा।

दुःख देने के लिए रच-रचकर झूठी बातें क्यों कह रहे हो? तुम्हारे मस्तक पर (किसी दूसरी स्त्री के पैर के) महावर की रेखा देखने से ही सब कहना (यों ही) रह जाता है—सब कहना झूठ साबित हो जाता है।

नख-रेखा सोहैं नई अलसौंहैं सब गात।
सौहैं होत न नैन ए तुम सौंहैं कत खात॥४०८॥

अन्वय—नख नई रेखा सोहैं, सब गात अलसौंहैं, ए नैन सौहैं न होत, तुम कत सौंहैं खात।

नख-रेखा = नख की खरोंट, नख-क्षत। सोहैं = शोभती है। अलसौंहैं = अलसाया हुआ। सौहैं = सामने। सौंहैं = शपथ। कत = क्यों।

(हृदय पर किसी दूसरी स्त्री द्वारा दी गई) नख की नई रेखा शोभा दे रही है। (संभोग करने के कारण) सारा शरीर अलसाया हुआ है। (लज्जा से तुम्हारी) ये आँखें भी सामने नहीं होतीं। फिर तुम क्यों (व्यर्थ) शपथ खा रहे हो? (कि मैं किसी दूसरी स्त्री के पास नहीं गया था।)

लाल सलोने अरु रहे अति सनेह सौं पागि।
तनक कचाई देत दुख सूरन लौं मुँह लागि॥४०९॥

अन्वय—लाल सलोने अरु अति सनेह सौं पागि रहे, तनक कचाई सूरन लौं मुँह लागि दुख देत।

सलोने = (१)लावण्ययुक्त (२)लवण-युक्त। सनेह सौं पागि = (१)प्रेम में शराबोर (२)तेल में तला हुआ। कचाई = (१)बात का हल्कापन (२)कचापन। सूरन = एक प्रकार की तरकारी, ओल, जिसकी बड़ी-बड़ी गोल-मटोल गाँठें जमीन के अन्दर पैदा होती हैं; वह नमक और तेल में तला हुआ