नोट—ज्योतिष के अनुसार अमावस के दिन सूर्य और चन्द्रमा एक ही राशि पर होते हैं। आधुनिक विज्ञान भी इसका समर्थन करता है।
बसै बुराई जासु तन ताही कौ सनमानु।
भलौ भलौ कहि छोड़ियै खोटैं ग्रह जपु दानु॥६३३॥
अन्वय—जासु तन बुराई बसै ताही कौ सनमानु, भलौ भलौ कहि छोड़ियै खोटैं ग्रह जपु दानु।
बुराई=अपकार। सनमानु=आदर। खोटैं=बुरे।
जिसके शरीर में बुराई बसती है—जो बुराई करता है, उसीका सम्मान होता है। (देखिए) भले ग्रहों (चन्द्र, बुध आदि) को तो भला कहकर छोड़ देते हैं—और बुरे ग्रहों (शनि, मंगल आदि) के लिए जप और दान किया जाता है।
कहै यहै स्रुति सुम्रत्यौ यहै सयाने लोग।
तीन दबावत निसक हीं पातक राजा रोग॥६३४॥
अन्वय—स्रुति सुम्रत्यौ यहै कहै सयाने लोग यहै, पातक राजा रोग तीन निसक हीं दबावत।
स्रुति=श्रुति, वेद। सुम्रत्यौ=स्मृति। सयाने=चतुर। दबावत=सताते हैं। निसक=निःशक्त, निर्बल, कमजोर। पातक=पाप।
(सभी) श्रुतियाँ और स्मृतियाँ यही कहती हैं, और चतुर लोग भी यही (कहते हैं) कि पाप, राजा और रोग—ये तीन—कमजोर ही को दबाते हैं—दुःख देते हैं।
बड़े न हूजै गुननु बिनु बिरद बड़ाई पाइ।
कहत धतूरे सौं कनकु गहनौ गढ़्यौ न जाइ॥६३५॥
अन्वय—बड़ाई बिरद पाइ गुननु बिनु बड़े न हूजै, धतूरे सौं कनकु कहत गहनौ न गढ़्यौ जाइ।
हूजै=हो सकते। बिरद=बाना। कनकु=(१) सोना (२) धतूरा।
बड़ाई का बाना पा लेने से—ऊँचा नाम रख लेने से—गुण के बिना बड़े