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4 5 - । विहारीविहार ।।
- मैं मिस ही सोय समुझि मुँह चूम्य ढिग जाय ।
| हँस्यौ खिसानी गर गह्यौ रही गरे लपटाय ॥ २१४ ॥ | रही गरे लपटाय नहीं मानी जु मनाये । गयो अपु ही मान वान जव मैन जमाये ।। धीमें धोखो खाई इ कसि गई भूजन पैं। नैन निचोंहँ किये सुकवि हँसि अधर पियो मैं ॥ २६५ ।। 5 5 14: 5 1:
- -* - | +मुँह उघारि प्यौ लखि रहे रह्यो न गौ मिस सैन । फरके ओठ उठे पुलक गये उघरि जग नैन ।। २१५ ॥
- गये उघरि जुग नैन कपोलन हाँसी छाई । प्रगट भई मुसकान दन्त-
दुति हू दरसाई ।। ग्रीवा नासा मुरी लाज रस हरस भरो प्यौ । सुकवि चित्र । सो भयो लखत छवि मुँह उघारि प्यौ ॥ २६६ ॥ | दोऊ चोरमिहींचनी खेलि न खेल अघात ।। दुरत हिये लपटाय कै कुवत हिये लपटात ॥ २१६ ॥ छवत हिये लपटात दो दोउन तरसावत । चूमि कपोलन छिपी छिपी कछ वात वनावत ॥ नैनन हीं मैं हँसत प्रीति जानत कोउ काऊ । सुकवि । मैन रस लुटि रहे हैं तिय पिय दोऊ ॥ २६७ ॥ -
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- } में बहाने से हो गया, तब मुझे सोग्रा समझ नायिका ने मेरा मुह चूमा । में हंमा । वह खि
। सानो - नजाई । मंने गलदाह दी। तब यह भी गन्ने में लिपट गई । लालचन्द्र * मिमहा" पाठ
- इ ६ चार मिनहा का अर्थ यहाना करने वाला लिखते हैं। संस्कृत टीका में भी मिमहा
, . ५६० नायिका थाना करके भोई वी पर ज उघाड़ के पति मुद्ध देने लगा तव शयन के बहाने
- भिम नहीं रह गया है पोठ फरके, पुरक हुआ पीर प्रोग्य वुल गई।
4 .:: तोर मि"धनी : त्रि में अन । ( अंदमूनों मुद्र तिहारे न नि "}। Fria Aav lies