पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/४९

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' भूमिका। । | व्यास रामशङ्खर जी के द्वारा आगरा कालिज के हेड पण्डित श्री रामेश्वरभट्टजौ से जो लेख मिला सो ज्यों का त्यों यह है.---- “लल जी लाल गुजराती सहस अवदौच थे, पिता का नाम चैनसुख जो था, ये चारभाई थे बड़े ले लल्ल, जौ फिर दयालजी मोतीराम जी चुन्नीलाल जो लल्ल जी के संतति नहीं थी दयाशंकरजी के । हरीरामजी थे सो नारमिल स्कूल में भाषा के पं थे तनखा ३०) पाते थे, दयाशंकरजी आगरा कालेज में ६०) के नौकर थे भाषा पढ़ाते थे, हरीराम के ३ पुत्र भये रामचन्द्र श्यामलाल रामचन्द्र कुछ न पढ़े । रेत में १०) के थे श्यामलाल जयपुर में किसी को गोद बैठा, रामचन्द्र का लड़का रामसेवक है १०) का रेल में नौकर है एक छोटा दो वर्ष का है । ३ मोतीलालजी के पुत्र नहीं भया, ३०) के आगरा कालेज में भाषा पढ़ाते रहे । ४ चुन्नीलालजी २०) के आगरा कालेज में भाषा पं० थे २ पुत्र भये मन्न लाले छगनलाल, सबूलाल

  • ५०) के भाषा पाठक घे छगनलाल प्रिन्सिपेल के क्लर्क ३०) के थे ॥

मन्न लाल के ४ पुत्र हुए केशवराम विशेशरदयाल अमृतलाल बसन्तराम । केशवराम ३०) क्लर्क से आगरा कालेज में थे. विशेषरदयाल डिप्टो इंस्पेकर ८०) के थे, अमृतलाल ३५) के Writing Master फरुखाबाद के स्कूल में थे, बसन्तराम विद्या कुछ हिन्दी पढ़े हैं कहीं नौकर नहीं आप जानते ही हैं। । केशवराम एक बुरी बीमारी से ग्रसित होकर २।३ वर्ष हुए मर गये विशेषरदयाल अमृतलाल इसी वर्ष में अर्थात् १९५३ में मरे बसन्तराम मौजूद हैं ॥ केशवराम के २ लड़के विशंभर रंगेश्वर । वि• हिन्दी कुछ पढ़ा है ४) का कहौ है रंगेश्वर ५ वे दरजे में पढ़ता है। । विशेषरदयाल के पुत्र नहीं अ० ला• पुत्र नहीं बसन्तराम के संतति नहीं पूर्व दोनों के पुत्रौ एक से एक है।

  • छगनलाल के २ पुत्र थे सलगराम लक्ष्मीराम । सालगराम कुछ हिन्दी अंग्रेजो पढ़े हैं नौकर कहीं
  • वही लक्ष्मीराम रेल में १ ५) का था ८७ वर्ष भये मरगया—विवाह इस का नहीं भया था।

। सालगराम के २ सुत्र गोपीनाथ २ बालमुकुन्द । गोपीनाथ राज उदयपुर में किसौगांव का थानेदार है छोटा मथुरा में किसी मन्दिर का रसोई आदि वा ठाकुर सेवा में हैं, इनमें से अभी किसी के

  • सन्तति नहीं।

| चैनसुखजी बड़े गरीब ब्राह्मणहत्ति कुछ करते थे । लल्ल, ज़ौ भाषा अच्छी पढ़ थे, घर से निकल कर रोजगार की तलाश में कलकत्ते चलदिये, प्रारब्ध खुलने की थी तैरना भी अच्छा जानते थे, किसी

  • साहब को गंगाजी में से डूबते हुए बचाया वह प्रसन्न भया उसने छापेखाना करा दिया हिन्दी की ।

कदर थी जब सहस्रों रुपये का माल छापखाने में हो गया उसने इनही को दे दिया। ये सव माल है