पृष्ठ:बिहारी बिहार.pdf/६२

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विहारीमत्सई की व्याख्याओं का संक्षिप्त निरुपण ।। में दो• । मेरो भवबाधा इरो राधा नागरि सोय । जतिन को झांई परे श्याम हरित द्युति होय ॥ १ ॥ | सु० । जाकी प्रभी अवलोकत हौ तिहूं लोक की सुन्दरता गहि वारी । कृष्ण कहैं सरसीरुह-नैन को । नाम महा मुद मंगलकारी । जा तन की झलकें झलकै हरित द्युति श्याम की होत निहारो। श्रीकृष-

  • भानुकुमारि कृपा कै सु राधा हरौ भव बाधा हमारी ॥ १ ॥

दो० । राति योस हौसे रहे मान न ठिक ठहराय । जैतो औगुन ढूंढ़िये गुने हाथ पर जाय २ ॥ सु• । जोहो झकों तौ खरो ही लटू है करै मनुहार अनूठी अनूठी । शौगुन ढुंढे हूँ हाथ न आवत सौगुन की रही सिद्ध सौ टूठी ॥ सौल सुभाव सदा निवहै हँसि बोलै अभौ वरपा मन बूठौ । हौंस हिये ।

  • निसि यस रई मनमोहन सी कवहं नहिं रूठौ ॥ २ ॥

(२१) पठान सुलतानशत-भूपाल जिले के राजगढ़ के नवाव सुलतान पठान संवत् १७६० में विद्य मान थे। वे ब्रजभाषा के कविता के बड़े ही प्रेमी थे इनकी सभा में चन्द्र कवि थे उनीने इनके नाम पर

  • विहारी के प्रत्येक दोहों पर कुण्डलिया, बनाई । यद्यपि यह कुण्डलिया वाला ग्रन्थ इनदिनों कही नहीं है

में मिलता है यहां तक कि बड़े यत्न के भी यौयुत ग्रियरून साहिब को एकही कुण्डलिया मिली और

  • मुझे पांच तक मिली है । लहून्लान्त अपनी टीका के अन्त में लिखते हैं कि मैंने पठान सुलतान की

कुइलिग्राय वाली टीका देखी। इससे विदित होता है कि यह ग्रन्थ पूरा बनाया गया था परन्तु । नवाब साहेब के पुस्तकालय से बाहर निकलना कठिन हो गया था । । कुण्डलिया पठान को । ।

  • मेरी भववाधा हरो राधा नागरि सोइ । ज्ञातन की झाई परे स्याम हरित
  • टुति होइ ।। स्याम हरितदुति होय कटै सव कलुष कलेसा । मिटै चित्त को भरम
  • रहै नहिं कछुक अँदेसा ॥ कहे पठान सुलतान काटु जम दुख की वेरी। राधा वाधा ।

हरो हही विनती सुनु मेरी ॥ १ ॥ में नासा मोरि नचाये हरा करी कका की माँ है। कॅाट सी कसकति हिये गडी केंटीली भौंह ॥ गड़ी कैंटीली भौंह केस निरवारति प्यारी । चितवति तिरके दृगनि मनो उर इनति कटारी ॥ कह पठान सुलतान छक्यो यह देखि तमासा । वाको स- इज मुभाव और को बुधि-वल नामा ॥ २ ॥ | हाहा बदन उधार दृग मुफल करें सव कोइ । रोज सरोजन के परे हँसी ससी |

  • की हो ॥ सी ससी की होय देखि मुख तेरो प्यारी । विधिना ऐसी रवी अपने

करन सँवारी ।। कह पठान सुलतान सेटि उर अंतर दाहा । करि कटाक् मो ओर है में भोर विनती सुनि हाहा ॥ ३ ।।