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पृष्ठ:बीजक.djvu/१२०

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रमैन । (६९) | यकसे शम्भूपंथचलाया। यकसे भूतप्रेत मनलाया ॥६॥ यकसेपूजाजौनविचारा । यकसनिहुरिनेवाजगुजारा ॥७॥ | यकसैकहे एकजे माया सबलित ब्रह्मताहीको प्रतिपादन करत वेदको अर्थ बदलिकै महादेवजीको तामसमत चलावतभये औ यकसे कहेएक जोमाया सबलित ब्रह्मताहीको प्रतिपादनकरत जीवनको मन भूत प्रेतदेव सब लगायदेतेभये अर्थात् माया में अरुझाय देतेभये ६ यकसे कहे एक जो माया सबलित ब्रह्म ताके ज्ञानहेतु निहुरिकै मुसल्मानलोग नेवाज गुजारतभये ॥७॥ कोउकाहूको हटा ने माना। झूठाखसमकबीरनजाना॥८॥ तनमन भजिरहुमेरेभक्ता । सत्य कबीर सत्यवक्ता ॥९॥ | कोऊ काहूको हटको न मानतभये झूठाजो धोखा ब्रह्म ताही को दृढ़करकै कायाके बारने जीव ते नाना देवतनसोते खसम जानतभये । कोई महीं ब्रह्महैं। या मानतभये । खसम जो परमपुरुष मैंहताको तुमसब न जानतभये ८॥ तनमनते मोहीमें लगो तबही तिहारो उबारहोइगो सौहे कबीर जीवा एकतो तुम सत्यहाँ औ एक जो तिहारे समुझावन वाला वक्ता मैं सो सत्यहाँ और सबझूठे हैं वही ब्रह्म चारों ओर द्वैगयो है यह द्वैमत देखायो तामें प्रमाण ( सत्यमात्मा सत्यजीवो सत्यांभदः ) ॥ ९ ॥ आपुहिदेवआपुहीपाती । आपुहिकुलआपुहिहैजाती॥१०॥ सर्वभूतसंसारनिवासी । आपुहिखसमापुसुखरासी॥११॥ कहतेमोहिंभयेयुगचारी । काकेआगेकहाँपुकारी ॥ १२॥ औवहीं माया सबलित ब्रह्म आपुही देवता द्वैगयोहै आपुही फूलपातीहैं। आपुही पूजा करनवालो है आपहीकुल जातिहै १० सोयाभांतिते वहीब्रह्म सर्वभूतमें निवासी ढुकै आपुही स्वसमैह्र रह्योहै औ जामें पुरुष के सुखको सोच ऐसी सुखराशी नारीद्वै रह्यौहै ११ सो यह बात चारों युगमोंको कहतभयो काके आगे पुकारकै कहा कोई समुझै या धोखा ब्रह्मको नहीं देखोपरै ॥१२॥