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पृष्ठ:बीजक.djvu/२१७

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रमैनी । ( १६७) भिमानैहै तबलग शीतउष्णहैआत्माको नहीं लगैहै साहब कहेहैं। कि वह जोहै। आत्मामेरी घराण कहे स्त्री अर्थात् जीयरूपा मेरीशक्ति सो मैं जो हैं याको खसमताको नहीं चीन्हैहै त्यहिते बौरीकहे बौरायगई ॥ ३ ॥ साँझ सकार दियालैबारैहै कहे समाधिलगायकै ज्योति को बारिकै कुंडलिनी उठाइ आत्माको लैजाइकै वही ज्योतिमें मिलाये है की याको मैं खसमहौं सो मोको छोड़िकै लगवार जोहै धोखा ब्रह्म ताको सुमिरै है ॥ ४ ॥ वाहिकेसँगमॅनिशिंदिनराँची । पियसवातक हैनहिसाँची ६ सोवतछांड़िचलीपियअपना। ईदुखअवधौंकहवक्यहिसना | सुरतिरूपी नारीजो है दूती ताहीके साथāकै वहीधोखा ब्रह्म में निशिदिन रचिरही हैं कहे प्रतिकाररही है पियनोमैहौं तास सांचीबात नहींकहैं। सांची बातें कहा है कि मैं तिहारोह यह कहै तै मैं जीवरूपा शक्तिको छोड़ाइले साहबकी यह प्रतिज्ञा है जो मोका जानै मोकोगहरावै तौमेंसंसारते छुड़ाइले तामें प्रमाण।। “अबले छुड़ाय काल ते जोवटसुरति सम्हौर ॥५॥ से जीवरूपाशाक्ते मोको न जान्यो मोको न गोहरायो सोवत रहि गई जागत न भई सोवतमें मोकोछोड़ि स्वप्न देखनबाली संसारीद्वैगई अर्थात् मोहरूपा निद्रा जब प्राप्तभई तब संसार में परि कै नाना दुःखपवैहै सो यहदुःख अपनो कासों कहै सांच जो मैं ताकेा तैौ जनै नहीं है अरु और सब स्वप्नते झूठे हैं ॥६॥ साखी ॥ अपनीजाँघउघारिकै, अपनी कही न जाइ ॥ । कीजानै चितआपना, कीमेरोजनलाइ ॥ ७॥ साहब कहै हैं कि यहिभांति मेरी जोवरूपाशक्ति मोकोछोड़ि कै संसाढ़े गंई सो अंपनीजंघा जो उघारिहोइ तौ कोई कहां अपनोगिल्ला करै है नहीं करैहै ऐसे मेरी शक्ति यह जीव सो जो और और लगवार जोहैं सो यह दुःख का मोसों कहिनाइहै नहीं कहिनाइहै कि तेरा मेरा दिल जानैहै याको उद्धार है। जाइ याही चाहौहौं औ कि मेरेजन जे ते मेरो सौशल्य दया बात्सल्यादिक गुणगान करिकै जानै हैं कि साहबमें निर्देह सौशल्यादिक गुणहैं जीवको उद्धार