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पृष्ठ:बीजक.djvu/४२३

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शब्द। (३७५) ये चार तुकनमें जिनको कहि आये हैं तिनको काल जब खाइ लियो है कहे। इनके शरीर जब छूट गये हैं तब ये कहां बास कियो है यह कोई खबर न जानतभयो सो जहां गये है अरु जहांके गये नहीं अवै हैं तौने लोकको मूढजीवन जानतभये इहां नरसिंह जीकौ लिख्यो तामें:धुनि यहहै कि उपासक आपने अपने उपास्यनके साथ साहबही के लोक जाइ हैं उपास्य उपासक दोऊ जहां परम मुक्तावस्था में जायँ सो वह साहब के लोकको ये बद्धविषयी जीव कैसे जानें ।। ६ ।। चौपर खेल होत घट भीतर जन्मके पांसा ढारा ।। दम दमकी कोई खवर न जानै कार न सकै निरुवारा॥७॥ मन बुद्धि चित्त अंहकार ये अंतःकरण चतुष्टय हैं सोई चौपार है ताको खेल घटके भीतर खै रह्योहै इनहींके योगते नाना जन्म होइहैं सोई पांसा ढारिबो हैं। सो दम दम कहे आपने श्वास श्वासकी खबर है। कोई जानै नहीं है कि आवत जातमें रकार मकार बिना जपे कब अंतःकरण शुद्ध द्वैसकैहै अरु को निरुवार कारसकै है अर्थात् कोई निरुवार नहीं करिसकै है अर्थात् या नहीं जानैहै कि हमारो जीवात्मा कहां जपैहै रकार मकार जीवात्मा सदा जप तामें “प्रमाण रकारेण बहियोति मकारण विशेरपुनः । राम रामेति वै मंत्रं जै अपति सर्वदा ॥ ७॥ चार दिशा महि मंड रचो है रूम साम विच दिल्ली । ता ऊपर कुछ अजब तमाशा मारे है यम किल्ली ॥८॥ | महिमंडळ जॉहै शरीर तामें नाभि हृदय कंठ त्रिकुटी ये चारि दिशा रचत भये अरु रूमकहे सहस्रदल कमलहै अरु साम सुरति कमल है तौ ने सुरति कसलके बीचमें दिल्ली है परंतु गुरुको स्थान तास्थानके ऊपर अजब तमाशाहै । सो कौन योगी प्राण चढ़ाइके सहस्र दल कमललों जाईं। कोई परम योगी बाण चढ़ाईकै सुरति कमलल नाइहै परमपुरुष स्थानके ऊपर जहां अजब तमाशाहै तह कोई नहीं जाइ सकैहै काहेते कि यमकिल्ली मारे है कहे दशव दुवार बंद कियेहै। अजब तसाशा वह कैसे देखे सो कहहैं कि यह ब्रह्म रंधते साकेत लोक जाको कहैं। हैं परमपुरुषपर श्रीरामचन्द्रको धाम वही साकेत लोकको दशवां स्थान फकीर