पृष्ठ:बीजक.djvu/४२४

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( ३७६ ) बीजक कबीरदास । लोग जाहूत कहे हैं । तहलों ब्रह्म ज्योतिकी डोरि लगी है वही डोरीको मक्रतार कहैं सो वह मक्रतार सुषुम्णामें लगोहै जब परमगुरु रामनाम बताई है। तब बही सुषुम्णा द्वैकै मक्रतारकी डोरी ढुकै साहब के लोक जाय है तहांअजब तमाशा कौन है कि उहांके त्रिगुण गुल्म लता देखे तो पांचभौतिकं से परे है पै पांचभौतिक नहीं है आनंदरूप है ॥ ८ सव अवतार जासु महि मंडल अनंत खड़ी कर जोरे । अद्भुत अगम अथाह रचो है ई सव शोभा तोरे ॥६॥ | सकल अवतार भौ ईश्वर अनंत जिनके आगे कर जोड़े खड़े हैं वह साहब लोक कैसो है अद्भुतहै कहे आश्चर्य है बचनमें नहीं आवै है औ अगमहै कहे उहां काहूकी गम नहीं है औ अथाह है कोई बर्णन करिकै थाह नहीं पायो कि यतनैहै सो हे जीव! यह सब शोभा तोरे साहबकी है तेरे देखिने योग्य है काहेते कि साहब दिभुजहै औ तेंहूं द्विभुजहै और तो सव ईश्वर अवतार कोई अष्टभुज कोई चतुर्भुज मत्स्य कूर्म इत्यादिक हैं अथवा साहबके लोकमें जे ईश्वर अवतार आदिक हैं ते सब अपनी शोभाको मेडल तोरे हैं अर्थात् उनकी शोभा साहबकी शोभाते मेद देखि परैहै ॥ ६ ॥ सकल कबीरा बोलै वीरा अजहूं हो हुशियारा ।। कह कबीर गुरु सिकिली दर्पण हरदम करो पुकारा ॥१०॥ । हे सब कबीरौ! कायाके बीर जीवौ वही बीरा लेऊ अर्थात् परम पुरुष पर जे श्रीरामचन्द्र तिनको बीरालेउ अजहूं हुशियार होऊ ने मतनमें गुरुवा लोग समुझाइ समुझाइ लगाइ दिये है तिन मतनमें जब भर तुम रहोगे तब भर तुम्हारो जन्म मरण न छूटैगो ताते मतनको छोड़िदे सुरति कमळमें जेपरम गुरु ते सिकलीगरहैं तुम्हारे अंतःकरण साफ करिबेको ते राम बतावै हैं सो वा राम नाम सुनिकै हरदम पुकार करो तब साहबके इहां पहुंचौ अरु सब अवतार ईश्वर उनके द्वारे हाथ जोरे खड़े हैं तामें प्रमाण शिवसंहितामें हनुमानजी प्रति अगस्त्यजी कहै हैं ॥ “आसीनं तमयोध्याय सहस्रस्तम्भमंडिते । मंडपे रत्नसंज्ञे च जानक्या सह राघवम् ॥ मत्स्यःकूर्मःकिरि