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पृष्ठ:बीजक.djvu/५४४

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(४९८) बीजक कबीरदास । तुम्हारी कैसी भई है, अनहूँ तो बिचारि देखो । तुम्हारी काशीमें चन्दन चोवा अगर लगावै हैं, पान खायहैं घर घर स्मृति पुरान होइहैं, बिविध भांतिके मेवा पकवान भोग लगावै हैं, यही रीतिते नगरमें कोलाहल लोग कारिरहे हैं। ऐसे परजा तुम्हारे निर्भय होइ रहै हैं तौने कारणते मोरौ चित ढीठ होइ गयो है १-४ हमरेबालककोयज्ञान । तोहीहारकोसमुझवैआन ॥ ६ ॥ जगजोजेहिसॉमनरहललायोसोजिवकेमरेकढुकहँसमाय॥ । सो हम जे सब बालक हैं तिनकर यहै ज्ञान है तुम जे हौ महादेव औ हरि जे हैं श्रीरामचन्द्र तिनको तो समुझावै आनहैं काहेते कि, वेद् बार यह कहते हैं कि, जब संसारछूटै है ज्ञान होइहै तब मुक्ति होइहै और ये सब काशीमें जे नाना विषय भोग करै हैं संसारमें लिप्त रहै हैं सो यहू वेदै के प्रमाणसे मुक्त हो यो मानत है ॥५॥ और जगत् में जो जौनेमें मनलगावै है सो शरीरछूटे कहो कहां समायहै अर्थात् जाहीमें मन लगावै है ताहीमें समाय है यहू वेद में लिखे है।“अन्ते या मतिः सा गतिः॥ सोहम तुमसों पूछे हैं कि विषयमें मन लगाये मरे जे काशीके लोग ते कहां जाय ? ॥ ६ ॥ हँहजोक्छुजाकरहोइअकाजाताहिदोषसाहबनलाज ॥७॥ हरहर्षितद्वैतवकहलभेव । जहॅहमहींतहँदुसरव ॥ ८ ॥ तुमदिनाचारमनधरहुधीरापुनिजसदेवहुतसकहकवी॥९॥ सो जाकर अकाज हाइहै ताहीको दोष है काहेते, वाके कर्मही ते अकाज होइहै । साहब जो आपहै श्रीरामचन्द्र तिनको कौन लाज है जो आप काशीके जीवनको मुक्ति देइहैं सो कौने हेतुते कहा ? औरे संसार क्या आपका नहीं है। काशी ही आपकी है ? ॥ ७ ॥ तब हर्षित छैके हर मोसे भेद बतायो कि, जहां हम तहां दूसरा है काशीमें औं सब संसारमें जहां हमहैं अर्थात् हमको जनानै हैं तेके कर्म औ कालई कैसे जर कैस* काहेते कि जब हम ब्रह्माते राम नाम पायो है तब जान्यो है ताहीते मुक्त करै हैं राम नामको उपदेश कर श्रीरघुनाथनीको ज्ञानदेइहै वाको तब मुक्त होइहै । सेकाशीहूमें रामनाम है। मुक्त करै है । औरहू देशमें राम नाम पाइकै मुक्तद्वै जाइहै ॥ ८॥ सो दिनचार तुम मनमें धीर धरो पुनि जस देख्यो तस हे कबीर तुम कह्यों अर्थात