पृष्ठ:बीजक.djvu/६२९

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साखी । मूरख ते केते संसार बजारमें चलिगये पै जाते साहब को ज्ञान होई ऐसा जो रामनाम हीरासो न लीन्हे अर्थात् यह रामनाम साहबका बतावन वारो है । कोई न समझ्यो । सो जाते साहबको ज्ञान होयहै ऐसो रामनाम हीरा ताके जे पारखी रहे ते राम नाम हीराको जानिकै उठायो नाते साहबको पहिचानिकै मुक्त है गये। अथवा रामनाम ऐसो हीरा बनार में कहे संसार में परि छार में लपट्यो है अर्थात् ज्ञान कांड,कर्म कांड और योग कांडमें लग्यो है और राम नाम में नही लग्यो हैं, जो साहब को बतावनवारो है नाते मुक्ति द्वै जाई छार में कहा लपटो है ? कि, ज्ञान काण्ड कर्मकाण्ड आदि कर्मनमें राम नामई को मानै हैं याही ते काहू को नहीं जानि परे है । राम नाम को और और सिद्धिन में लगाई देइ हैं तामें प्रमाण श्रीगोसांई जीको ।। नाम जीह नपि जागहिं योगी । विरति बिरंचि प्रपंच वियोगी ॥ ब्रह्म सुखहि अनु भवहि अनूपा। अकथ अनामय नाम न रूपा ॥ जाना चहै गूढ मत जोऊ । नाम जीह जपि जानहिं तेऊ ॥ साधक नाम जपहिं लै लाये । होइ सिद्ध अणि यादिक पाये ।। जपहिं नाम जन आरत भारी । मिटहि कुसंकट हॉहि सुखारी ॥ सो येही रामानामको लैकै सब साहबको जान्यो है तामें प्रमाण हैं श्रीकबीर जीको रेखता । रामको नाम चौ मुक्तिका मूल है निचौर रस तत्त्व छानी । रामको नाम षट शास्त्र में मथलिया राम षट दर्शमें है कहानी ॥ रामकेा नाम मैं ध्यान ब्रह्मा किया ररंकारै घुनि सुनि मानी । कहैं कब्बार अवगाह लीला बड़ी रामको नाम निर्माण बानी ॥ रामको नाम लै विष्णु पूजा करें रामको नाम शिव योग ध्यानी । रामको नाम लै सिद्ध साधक जियो जियो सनकादि नारद ज्ञानी॥ रामका नाम है राम दीक्षा लिया गुरु वाशिष्ठ मिलि मंत्र दानी । रामको नाम लै कृष्ण गीता कथी मथी पारस्थ नहिं ममजानी ॥१६८॥ हीराकी ओवरी नहीं, मलयागिरि नहिं पांति ॥ सिंहनके लेहड़ा नहीं, साधु न चलें जमाति ॥१६९॥