पृष्ठ:बीजक.djvu/८२

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रमैनी। ( ३१ ) * नम्॥ इर्शिवाल्मीकीये ॥ औ साहब साकारदिभुजनराकृतिहै । तामें प्रमाण ॥ *स्थूलंचाष्टभुजंतं सूक्ष्भचैवचतुर्भुजम् । परन्तुदिभुर्जरूपंतस्मादेतत्त्रयंयजेत्॥इति नंदूसंहिता आनन्दोदिभुजःप्रोक्तोमूर्तश्चामूर्त्तएवच । अमूर्तस्याश्रयमूर्तःपर मात्मानरकृतिः ॥ इतिआनंदसंहितायां ॥ औ मुसल्माननके जे अच्छे समुझ वारेहँतेसाकारहीमानैहैं, काहेतेकिकुरानमें लिखे हैं-अल्लाह कहै कि “महम्मद मोको एक बार जब लड़काईमेंदेखा है औ एक बार मैंने बुलाया मेरे सामने चलाआया दुइकमानते कम फरक रहिगया' सो महम्मद देखा यातौअल्लाहकेसूरत है यह आयो औ महम्मकीहदीस खलकलईनसानअल्लाहके सूरतहीमें बना यादै ईनसान अपनी सूरतिका यहिसे यह आयाकि अल्लाह द्विभुजहै ।। यहिसे या मालूम भया कि अल्लाह कहिकै द्विभुज श्रीरामचन्द्रही वर्णन करैहै । औ जे अल्लाहकी सुरतिकहते हैं कि नहीं है, कुरानकी जबानी नहीं मानते हैं तिनको काफरकहतेहैं औ वह जो है निर्गुण सगुणके परे साहब नराकृति सो जाके ऊपर कृपा करै है. ताको आपनोहं सरूप आपनीइन्द्री देइहै आपै देखिपरै है तामें प्रमाण ॥ ब्रह्मणैवजिघ्रतिब्रह्मणैव पश्यति ब्रह्मणैवशृणोतिइतिश्रुतेः ॥ ॐ साहबको रूप साकार निराकारते विलक्षणहै यातेअरूपीरूप कहैंहैं औज़सोयहनामहै तैसोनामनहीं है वहनामविलक्षणः मन वचनकेपरे है यातेवाको अनामनामकहै हैं तामेंप्रमाण । “अनामासोऽप्रसिद्धत्वाद रूपोभूतिवर्जनात् ॥ इतिअग्निपुराणे ॥ अमाकृतशरीरत्वादरूपीभगवान्विभुः ॥ इतिवायुपुराणे। औ साहबके हाथ पांय नहीं हैं निराकार आयो औ चलैहै ग्रह करिलेइहै याते साकारआयोतामेंप्रमाण॥“अपाणिपादोजवनोग्रहीत्तापश्यत्यच अःसशृणोत्यकर्णः'इतिश्रुतेः ॥ सो ऐसे साहबके लोक प्रकाश है ब्रह्मको यह जी बना समुझया कि साहबको लोकःप्रकाश है मनते अनुभवकार वह ब्रह्म आपही को मानतभयो यही धोखा ब्रह्म है । सो जीवपै कहे एकरूपते औ कहेसमष्टिरूप जीवलोक प्रकाशके अंतरमेंबास कियेरहै, सो अंतर ज्योति कहे सुरतिपाय प्रकाशकीन कहे मतादिक उत्पन्न करि समष्टिते व्यष्टि होवेकी इच्छा करत भये सो त कहे सुरतिपाय पर आगे कहै हैं , उत्पन्न कर समष्टिते