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पृष्ठ:बीजक.djvu/९४

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रमैनी । (४३ ) युगनकी बातमैंकहांलॉकहीं मनबचननके परेजोंहै ताकीबाटब्रह्मो भूलिगये। जो बाट पाठहोयहै तोयह अर्थहै औजोंत्राता पाठ होयेहै तो यहअर्थ है कि सबके त्राताकहे रक्षक जो साहब ताका ब्रह्मा भूलगये १ जौन रामनामको अर्थ जगवमुख लैकै बाणी औसमष्टि जीव आदि जगत् रच्योरै तौनेयुगतिब्रह्मविष्णु महेशके मन में भावत भई सो दूनो अक्षर रामनाम को लैकै रचत भये ॥ २ ॥ विविअक्षरकाकीनविधानाअनहदशब्दज्योतिपरमाना३॥ अक्षरपढिगुनिराहचलाई। सनकसनन्दनकेमनभाई ॥४॥ ओई जे ६ अक्षरहैं तिनको बिधान करतभये (और जो बंधान पाठहोई नौ बधान करतभये )। कहांबिंधानकियो कि ज्योतिरूपी जॉहै आदिशक्ति रेफरूप अग्निबीन पर जाकोमंगल में पांचब्रह्ममें लिख्यो है ताहीते अनहद शब्द उठावत भये मनमें जो कुछ कहनेकी बासना आई चित्तमें सो मूलाधारकी जहै ज्योति तौनेमें मन मिल्यो कहे संकल्पउठ्यो तबवह ज्योति डोली ताते कछु पवनको संचारभयो ताते नादकी प्रकटता भई तब वह पराबानी उठी सो पश्यंती मध्यमाद्वै त्रिकुटीके ऊपर मकारहै विन्दुरूपसहस्र कमलमें तहां टकरपाय बैखरी ये तीनरूपढुकैबाहरको आई । सो जहां अग्निको औपवनको संयोग होयहै तहां जोशब्दहोयहै सो अनहद कहावैहै । सो वह बाणी जो बाहर आई सोसम्पूर्ण अक्षर भै । तौने पढ़ि गुणिकै सनक सनंदन ने जीव हैं तिनके मन में भावत भई अथवा सनकसनंदनादिक जे ब्रह्माके पुत्र तिनके मनमें भावत भई सो वहै राह चलावत भये ॥ ३ ॥ ४ ॥ वेकिताबकीन्हबिस्तारा। फैलगैलमनअगमअपारा ॥५॥ तेई अक्षरनको लेकै वेद किताब कुरान पुरान जैहैं तिनको बिस्तार करतभये । सो सबके मनमें फैलगैल कहे फैलजात भई अर्थात् जाकेमनमें जौन गैलनीक लगी सोचलतभयें । सोवगैल तोभूलहीगये बहुतगैल लँगई। अपने अपने मत नकी अपनी अपनी गैलकहैहैं कि यही सिद्धांत है । तिहिते नानासिद्धांत है। गये जोसिद्धांत है ताकी तो पावै नहीं। वेदादिकनको कुरानादिकनको कह