पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/१२

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makarmananRKARINAARAKE .. . *बीजक मूल * ११॥ पूता ।। यमके वाहन वांधे जनी । बाँधे शृष्टि कहां। लौ गनी ॥ बाँधेउ देव तेंतीस करोरी । सुमिरत लोहवंद गौ तोरी ॥ राजा संवरे तुरिया चढ़ी । पंथी। सबरे नामले बढ़ी ।। अर्थ विहूना संबरे नारी। परजा संबरे पुहुमी झारी ॥ साखी-बंदि मनावै फल ते पावे, बंदि दिया सो देय । कहै कबीर सो ऊबरे, जो निशिवासर नामहिं लंय ॥९॥ रमैनी ॥१०॥ रहि लै पीपराही वही। करगी पावत काह न कही ॥ श्राई करगी भौ अजगता । जन्म जन्म है यम पहिरे बूता ॥ बूता पहिरि यम कीन्ह समाना।। तीन लोक में कीन्ह पयाना ॥ बांधेउ ब्रह्मा विष्णु महेशू । सुर नर मुनि श्री बांधु गणेशु ॥ बांधे। पवन पावक श्री नीरू । चांद सूर्य वांधेउ दोउ वीरू ॥ सांच मंत्र बाँधे सब झारी । अमृत बस्तु न जानै नारी ॥