पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/४

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बीजक माहात्म्य तथा पाठ-फल । GAV CAS khani A ® साखी

बीजक कहिये साख धन, धन का कहै सँदेश ।

, प्रातम धन जिहि ठौर है, वचन कबीर उपदेश॥ , देखे वीजक हाथ ले, पावे धन तिहि शोध ।। , याते वीजक नाम भौ, माया मनको बोध ॥२॥ आस्ति आत्मा राम है, मन माया कृत नास्ति । याकी पारख लहे यथा,वीजक गुरुमुख प्रास्ति ॥३॥ पढ़े गुनै अति प्रीति युत, ठहरिके करै विचार ।। थिरता बुधि पावै सही, वचन कबीर निरधारा सार शब्द टकसार है, वीजक याको नाम । गुरुकी दया से परख भई, बचन कवीर तमाम ॥५॥ पारख विनु परचै नहीं, बिन सत्संग न जान 'दुविधा तजि निर्मय रहे, सोई सन्त सुजारा 4HMA+4 मन Mirr Arte r Nirajan,