पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/८६

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rahim. .. .. Sarkarnamataram

  • बीजक मूल

जो यह पद अर्थावे ॥ सोई पंडित सोई ज्ञाता । साई भक्त कहावे ॥ ५५ ॥. शब्द ॥ ५६॥ नर को नहीं परतीत हमारी ॥ टेक ।। ___ झूठा बनिज कियो झूठे सो। पूँजी सक्न मि- लि हारी ॥ पट दर्शन मिलि पंथ चलायो । त्रिदेवाई

  • अधिकारी ।। राजा देश बड़ो परपंची रैयत रहत है

उजारी । इतते उत उतते इत रहहू । यमकी सांड है सवारी ॥ ज्यों कपि डोर बांधु बाजी गर । अपनी खुसी परारी ॥ इहे,पेट उत्पति परलयका ॥ विषया सबै विकारी ॥ जैसे श्वान अपावन राजी । त्यों। लागी संसारी । कहहिं कबीर यह अदवुद ज्ञाना। को मानै बात हमारी ॥ अजहुँ लेहु छुडाय काल सो । जो करे सुरति सॅभारी ।। ५६ ॥ शब्द ।। ५७॥ . ना हरि भजसि न अादत छूटी ॥ टेक ॥ शब्दहि समुझि सुधारत नाहीं ॥ ऑधर भये ।