पृष्ठ:बीजक मूल.djvu/९२

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  • वीजक मूल

शब्द ।। ६२॥ माई मैं दूनों कुल उजियारी ॥ देक ॥ ___ सासु ननद पटिया मिलि बँधलों । भसुरहिं । परलों गारी ॥ जारों माँग मैं तासु नारि की । जिन । सरवर रचल धमारी ॥ जना पांच कोखिया मिलि. रखलों ॥ और दुई औ चारी ॥ पार परोसिनि करों कलेवा । संगहि बुधि महतारी ॥ सहजै वपुरे सेज विछावल । सुत लिउँ मैं -पाँव पसारी ॥ श्रावों नई जावों मरों नहिं जीवों । साहिब मेंट लगारी ॥ एक नाम मैं निजुकै गहलों । ते छूटल संसारी ॥ एक नाम मैं बदि के लेखों । कहहिं कवीर पुकारी ॥६॥ शब्द ॥ ६३॥ मैं कासों कहों को सुने को पतियाय । फुल- वाके छुवत भँवर मरि जाय ॥ जोतिये न बोइये । सीचिये न सोय । बिन डार विन पात फूल एक होय ॥ गगन मंडल विच फुल एक फूला । तर भौ । डार उपर भी मूला । फुल भल फूलल मालिनि भल