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जिस पर सारे जगत् की स्थिति है और जो पक्षपात-रहित सब चरा-चर को समान दृष्टि से देखती है, मेरी साक्षी है । भगवति वसुंधरे !मैं सत्य कहता हूँ, इसमें तू साक्षी दे।
गौतम का पृथ्वी को टंकारना था कि. पृथिवी से एक तुमुल शब्द हुआ और मार यह कहता हुआ निस्तेज पृथिवी पर गिर पड़ा-
दुःखं भयं व्यसनशोकविनाशनं च,
धिक्कारशब्दमवमानगतं च दैन्यम् ।
प्राप्तोस्मि अद्य अपराध्य सुशुद्धसत्वे
अश्रु त्व वाक्य मधुरं हितमात्मजानाम्
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