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समाधिसिद्ध हो सकता है। सचमुच कामना एक ऐसा मनो- .
वेग है जो मन को सदा चंचल किए रहता है। इसी को योगशास्त्र
में स्थानिक देव, बौद्ध ग्रंथों में मार, पुराणों में इंद्र, जंद में अहमन
तथा सेमिटिक ग्रंथों में शैतान कहा गया है।
· बौद्ध काव्यों में कहीं 8 विभूम, हर्ष और दर्प नामक मार के
तीन पुत्र तथा रति, प्रीति और तृष्णा नाम की तीन कन्याएँ, कहीं
काम, रति, क्षुत्पिपासा, तृष्णा, इच्छा, भय, विचिकित्सा,क्रोध,मक्ष,
लोभ, श्लोक, संस्कार, मिथ्यालब्धयश, अभिमान, ईर्ष्या इत्यादि
इसकी सेनाएँ । मानी गई हैं और इनका राजा मार नामक कहा
गया है। काव्यों में मार के साथ गौतम का युद्ध बड़ी रोचकता के
साथ लिखा गया है । यद्यपि मार ने गौतम को कई वार छकाना
चाहा और उन्हें विषयभोग के अभिमुख करने के लिये अनेक प्रयत्न
किए, पर गौतम उसके चक्कर में न फँसे । इसने उनका पीछा कपिल-
वस्तु में ही किया था और उनकी प्रव्रया में अनेक प्रकार के विघ्न
- वस्पात्मजाविभुमहर्पदोस्तितोरतिमोतिपयकन्या।
युद्धपरितकाव्य । + कामस्ते प्रथमासेना, विवीया ते रतिस्तथा । तृतीयाधुत्पिपारा ते तृप्सा सेना चतुर्थिका ॥ पंचमी स्थानमिछने, भयं पष्ठी मिरुध्यते । सप्तमी विधिकित्सा ते क्रोध मौतयाटमी । लोभरलोकी च संस्कारो मिथ्यालन्धं च यदायः । श्रात्नान यश्चउत्कक्षाघध्यसयेत्परान् ।। एपा नझुचिः ते सेना कृप्यन्धोः प्रतापवान ॥ ललितविस्तर।