बुद्ध और बौद्ध-धर्म १०८ in गौतम और शाक्य ये दो नाम बुद्ध के थे। मेक्सिको में पुरो- हित को ग्वाते-मोट-निज कहते हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं कि यह गौतम शब्द का अपभ्रंश है। और भी अनेकों नाम हैं, जोकि बुद्ध के नामों से मिलते-जुलते हैं ; जैसे-जाकाटेकास, शाकारापेक, जाकाटलाम, शाकापुलाश इत्यादि । ये शाक्य-शब्द से मिलते हैं। पालेस्के नामक स्थान पर एक प्राचीन बुद्ध-मूर्ति भी है, जिस को कि वहाँ के निवासी शाकामोल कहते हैं, जिसका कि अर्थ है शाक्य मुनि । कोलोराडो नदी के प्रवाह में एक टापू है, वहाँ एक पुरोहित रहता है, उसका नाम गोत्तुशाका अर्थात् गौतम शाक्य है। ध्यानस्थ बुद्ध की मूर्तियाँ, हाथी की मूर्तियों के समान अमे- रिका में पाई जाती हैं, जिससे इसमें सन्देह नहीं रहता कि अमे- रिका में बौद्ध-धर्म पहुँचा था और उसका वहाँ प्रचार हुआ था। यूरोप के कई विद्वानों ने, जिनमें प्रोफेसर फायरमेन जोकि एक प्रसिद्ध विद्वान है, यह साबित कर दिया है कि अब से चौदह सौ वर्ष पूर्व बौद्ध-भिन्नु अमेरिका में पहुँचे थे और वहाँ बौद्ध-धर्म का प्रचार किया था। अठारहवीं शताब्दि से प्रथम अफगानिस्तान में बौद्धों का पूर्ण प्राबल्य था। वहाँ की समस्त जनता आर्य थी । बाह्नीक (बलख ) उद्यान ( चमन ), गाँधार ( कंदहार) और कपिशा ( काबल) में हिन्दू-साम्राज्य था। कनिष्क के वंशधर वहाँ राज्य कर रहे थे। उनकी राजधानी काबुल में थी। काबुल में सम्राट कनिष्क का
पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१११
दिखावट