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पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१२९

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बुद्ध और बौद्ध-धर्म उद्धार करने के लिए जब अपनाउपदेश प्रारम्भ किया था, तबतक का बुद्ध का जीवन-चरित्र इम पुस्तक में दिया गया है। इस पुस्तक के बहुत-से अंश गद्यमय और शेष सब पद्य में हैं। इसमें २७ परिवर्तन हैं। इसकी भाषा को हम शुद्ध संस्कृत नहीं कह सकते। कुछ विद्वान इसे गाथा-संस्कृत कहते हैं । इसमें बुद्ध का जीवन आलंकारिक रीति से लिखा गया है। इसमें बहुत-सी चमत्कारपूर्ण बातें बताई गई हैं, इसलिए ऐतिहासिक दृष्टि से हम इसे महत्वपूर्ण नहीं कह सकते । इसके लेखक का भी काल निश्चित नहीं है। इस की रचना ईसा के प्रारम्भ की है । जर्मनी से इसका एक संस्करण लफमेन ने प्रकाशित किया है। वुद्ध-चरित्र बौद्ध-साहित्य का एक दूसरा महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसका लेखक अश्वघोष है। बौद्धों में अश्वघोष नाम के कई पंडित हो चुके हैं। लेकिन इस विद्वान् ने जो रचना की है, वह ईसा की पहली शताब्दि की है और वह काश्मीर के राजा कनिष्क की राज- सभा का पण्डित था । यह ग्रन्थ कालिदास की रोचक शैली में लिखा गया है। रघुवंश और कुमारसम्भव के श्लोकों के साथ इस का सादृश्य है । इसमें बुद्ध का चरित्र काव्य की दृष्टि से बहुत सुन्दर और रोचक लिखा गया है। अश्वघोष ने और भी बहुत-से ग्रन्थ लिखे हैं, जिनमें सौन्दरनन्द, सूत्रालंकार, श्रद्धोन्पाद, शारी- पुत्र प्रकरण, अभिधर्म विभाग, गएडीस्तोत्र आदि बहुत प्रसिद्ध हैं। स्वर्गीय प्रोफेसर कोवेल ने बुद्ध-चरित्र का एक बहुत सुन्दर संस्करण प्रकाशित किया था।