पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१३५

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बुद्ध और बौद्ध-धर्म १३२ अपादान-इसमें अर्हतों के चरित्र दिए गये हैं। बुद्धवंशः-इस ग्रन्थ में बुद्ध और उसके पहले हुए २४ वुद्धों के जीवन चरित्र दिए गये हैं। चरिया पिटक-इस पुस्तक में बुद्ध के चौंतीस पूर्व जन्मों का वर्णन किया गया है । यह अन्थ बहुत ही अपूर्व है । सुतपिटक में इतनी ही पुस्तकों का संग्रह है। विनय-पिटक में तुिओं के पालन करने योग्य नियमों का संग्रह है । इनमें प्रधान पाँच ग्रन्थ हैं-१ पारालिक, २ पाचिति-यादि, (ये दो ग्रन्थ मिलाकर 'सुत्तविभङ्ग नामक विभाग बना है, इसमें प्रायश्चित्त के नियम हैं) ३ महावग्म, ४ चुल्लवग्ग, (ये दो ग्रन्थ मिलाकर 'स्वग्धक' नामक विभाग बना है ।) और ५ परिवार पाठ अर्थाव पारेशिष्ट । इनके बाद 'भिक्खु भिक्खुणी पातिमोक्ख नामक ग्रन्थ है। इसमें बौद्ध साधु और साधवियों के दोषों का वर्णन और उनके प्रायश्चित्त के नियम हैं। अभिधम्म पिटक में बोद्धों के तत्व-ज्ञान का विवेचन हैं। इसमें ये छोटी-छोटी सात पुस्तकें हैं:-१ धम्मसंउणी, २ विभंग, ३ धातुकथा, ४ पुग्गल पजति, ५ कथावत्यु, ६ यमक, ७ पट्ठान ये पुस्तकें अत्यन्त कठिन और नीरस हैं। इसके सिवाय पाली भाषा में और ऐसी पुस्तकें हैं, जो इस साहित्य से अलहदा हैं। इन सब में मुख्य ये हैं- महापरिनिव्वाण सुत्त- इसमें वुद्ध के अन्तिम तीन महीनों को दिनचर्या दी गई है। इससे बौद्ध-धर्म के मुख्य-मुख्य तत्त्व,