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पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/२०६

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२९६ बौद्ध काल का सामाजिक जीवन . वालों के स्थान के लिए सरकार को कर देना पड़ता था, और जीत के धन में से ५) सैकड़ा सरकार का होता था। प्रत्येक जुआ- खाने में एक सरकारी कर्मचारी इस बात की जाँच के लिए रहता था कि पासे ठीक हैं, खेल ईमानदारी से होता है, और सरकारी कर पूरा-पूरा दिया जाता है। बौद्ध-काल, विशेपतः अशोक का समय, दो समयों के बीच में पड़ा था। एक ओर तो वह समय था, जिसको वैदिक काल कहते हैं। दूसरी ओर वह समय था, जिसमें संस्कृत-भाषा का प्राधान्य था। जैसा कि सभी विद्वान जानते हैं, यह भापा वैदिक भापा से कई बातों में भिन्न है। इसलिए इसको संस्कृत (संस्कार की हुई, शोधी हुई ) कहते हैं । इसी द्वितीय समय में मुख्य-मुख्य काव्य- ग्रन्थ, पुराण, स्मृति और नीति-ग्रंथ रचे गये । इन धार्मिक और अर्ध-धार्मिक ग्रंथों के सिद्धान्त प्राचीन काल से चले आते रहे हों, पर मापा नवीन है। इन दोनों के बीच में बीद्ध-काल पड़ा, इस काल में न तो वैदिक भाषा से काम लिया जाता था, न संस्कृत से । वैदिक भाषा कठिन और दुर्बोध होने के कारण छोड़ दी गई थी। संस्कृत की अभी उत्पत्ति हुई ही न थी । इस समय पाली से काम लेते थे। पाली वस्तुतः किसी एक देश की भाषा न थी । मौर्य साम्राज्य के उदय के पहले कौशल राज्य का बल बहुँत बढ़ा हुआ था। उस के अन्तर्गत वर्तमान संयुक्त प्रान्त, बिहार और नेपाल का बहुत-