बुद्ध और बौद्ध-धर्म २० प्रवल लिच्छवियों की प्रसिद्ध राजधानीथी । वहाँ वह अम्बपालिका की आम की बाड़ी में ठहरा | अम्बपालिका इस नगर को एक प्रख्यात वेश्या थी। गौतम का आना सुनकर वह उसके पास गई। उसने उसे दूसरे दिन अपने यहाँभोजन करने का निमन्त्रण दिया। गौतम ने उसे स्वीकार कर लिया। जब लिच्छवियों के राजकुमारों ने सुना कि बुद्ध आए हैं और वह अम्बपालिका की बाड़ी में ठहरे हैं; तब उन्होंने बहुत-सी सुन्दर गाड़ियाँ तैयार करवाई और उनपर चढ़कर वे बुद्ध के पास गए। उनमें से कुछ काले और लाल रंग के थे और वैसे ही वस्त्र और उसी तरह के आभूषण पहने हुए थे; उनमें से कुछ गौर वर्ण के पुरुष सफेद और लाल रंग के वस्त्र तथा वैसे ही आभूषण पहने हुए थे; उनमें से कुछ लाल रंग के पुरुष सफेद वस्त्र और वैसे ही आभूषण पहने हुए थे। कुछ सुन्दर वर्ण के पुरुष सफेद और उज्वल वर्ण के वस्त्र तथा आभूषण पहने हुए अम्बपाली ने युवा लिच्छवियों के पहिये से पहिया लगाकर, घुरे से धुरा मिलाकर, और जुए से जुआ अड़ाकर अपना रथ हाँका । तव लिच्छवी राजकुमारों ने पूछा-हे अम्बपाली ! इसका क्या कारण है कि तू हमारे रथ के वरावर रथ हाँक रही है ? अम्बपाली ने उत्तर दिया-हे मेरे प्रभो ! मैंने महान् बुद्ध और उनके शिष्यों को कल भोजन का निमन्त्रण दिया है और उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया है। थे।
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