पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/७५

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वुद्ध और बौद्ध धर्म ६ लश महाभूमिका धर्म- (१) मुधामोह (२) कौसिदय (३) स्थान (४) प्रमाद (५) अश्रद्धा (६) औद्धत्य । २ अकुशल भूमिका धर्म-(१) अहीकता (२) अनपत्रपा । १० पस्ति लश भूमिका धर्म- (१) क्रोध (२) ईर्पा (३) विहिशा (४) माया (५) मृक्ष (६) मात्सर्व (७) परिताप (स) उपनाह (8) शाव्य, (१०) मद । ८ अनियत भूमिका धर्म- (१) कोकृत्य (२) वितर्क (३) प्रतिष (४) मिद्ध (५) विचार (६) मान (७) राग (6) विचिकित्सा । ये ४६ चैत्त हुए । १४ चित्त विप्रयुक्त- (१) प्राप्त (२ अप्राप्ति (३) समागत (४) असंज्ञिका (५) असंज्ञि समाप्ति (६) निरोध समाप्ति (७) जीवित (5) जाति (E) स्थिति (१०) जरा (११) अनित्यता (१२) नामकाय (१३) पद काय (१४) विज्ञान काय। ३ असंस्कृत धर्म- (१) प्रति संख्या निरोध (२)अप्रति संख्या निरोध (३) आकाश । ये ७५ वाह्य विभाग हुए। संस्कृत-धर्म का मतलब उन वस्तुओं से है जो दूसरे के मेल से बनी है। संस्कृत-धर्म चार है-रूप, चित्त, चैत्य और चित्त विप्रयुक्त । वौद्ध दर्शन में धर्म के अनेक अर्थ हैं, जैसे नियम, कानून, मजन, श्रद्धा, संसार, जगत श्यमान वस्तु इत्यादि । ,