७५ बौद-संघ के भेद , गन्ध विषय-जो बाण इन्द्रिय से मालूम हो, वह गन्ध है। गन्ध चार प्रकार की है-सुगन्ध, दुर्गन्ध, समगन्ध और विषम गन्ध । समगन्ध शरीर का पोषण करती है और विषम गन्ध शरीर का पोषण नहीं करती। रस विषय-यह जिहा से जाना जाता है, और यह ६ प्रकार का है-मीठा, खट्टा, लवण, कटुक, तीखा और कषायला । स्पर्श विषय-यह कायइन्द्रिय से मालूम होता है । यह ११ प्रकार का है-अप, तेज, पृथ्वी और वायु, ये चार भूत स्पर्श विषय कहलाते हैं। शेष के ७ भौतिक स्पर्श विषय कहलाते हैं। विशेष बात यह है कि शीत, भूख और पिपासा इनकी गणना बौद्ध-दर्शन ने स्पर्श में ही की है। इन पाँचों विषयों की पाँच इन्द्रियाँ हैं । बौद्ध-दर्शन में इन्द्रियों के कई अर्थ हैं; जैसे परम ईश्वर अधिपति । बाहर के विषयों को ग्रहण करके इन्द्रियाँ चित्तोत्पाद करती हैं । पाँच ज्ञानेन्द्रियों द्वारा ही विज्ञान का सम्बन्ध है। बौद्धों ने पाँच विज्ञान माने हैं और पाँच ज्ञानेन्द्रियों को ५ प्रसाद के रूप में माना है। प्रत्येक इन्द्रिय के दो भाग हैं-एक मुख्य और दूसरा गौण; जैसे देखने की नस तो मुख्य है और आँख गौण । मुख्य इन्द्रिय अदृश्य है और गौण दृश्य। अविज्ञप्ति रूप-अविज्ञप्ति रूप का अर्थ उस कर्म से है, जो अभीतक प्रकट न हुआ हो । यहाँ रूप का अर्थ कर्म होता है। जब हम कोई शुभ-अशुभ कर्म करते हैं, अथवा भावना करते हैं
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