बौद्ध-संघके भेद ७७ काय विज्ञानों में स्वभाव-निर्देश होता है और मनोविज्ञान में तीनों कर्म होते हैं। पहले पाँचों को अनिर्देश विज्ञान कहते हैं। स्वभाव निर्देश पहले ५ विज्ञान कायों में होता है। इनमें प्रयोग निर्देश और अनुस्मृति निर्देश नहीं होगा, इस कारण उन्हें अनिर्देश कहते हैं। चैत धर्म-चैत्त-धर्म चित्त के अनुगत होता है। किसी वस्तु के साधारण गुण तो चित्त देखता है और विशेष धर्म चैत्त देखता है; जैसे हम दूर से जब किसी मनुष्य को देखते हैं तो चित्त के द्वारा हमें मालूम होता है कि यह कोई पुरुप या बी है । इसके इस प्रकार का रूप व आकृति होगी। चैत्य धर्म के द्वारा हम यह मालूम करते हैं कि इसके विशेष गुण क्या-क्या होंगे। इसके एक आँख होगी, इतनी लम्बाई होगी, नाक होगा, कान होगा, मह होगा, ऐसा वर्ण होगा; इत्यादि-इत्यादि । बौद्धों के मत में चैत्य धर्म ४६ प्रकार का है; परन्तु विज्ञान- वादियों ने इसे ५० प्रकार का बताया है। पीछे हम इन ४६ चैत्य धर्मों का वर्णन कर चुके हैं। १० महाभूमिका धर्म सब मनुष्यों के लिए एक-से ही होते हैं, अच्छे-बुरे, और अच्छे व बुरे। कुशल महाभूमिका धर्म भी १० प्रकार के हैं। ये सब अच्छे विचारों के साथ रहते हैं। क्लेश महाभूमिका.६.प्रकार के हैं, जो क्लेश के साथ होते हैं। दो प्रकार के अकुशल भूमिका धर्म मन की बुरी वृत्तियों के साथ पैदा होने हैं।
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