पृष्ठ:बृहदारण्यकोपनिषद् सटीक.djvu/३२३

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अध्याय ३ ब्राह्मण ३ पाशिक्षिताः, अभवन्, सः, त्वा, पृच्छामि, याज्ञवल्क्य, क, पारिक्षिताः, अभवन् , इति । अन्वय-पदार्थ । अथ-इसके पीछे। लाह्यायनि:-

-लह्यायनि ।

भुज्युः भुज्यु ने इति-ऐसा । पप्रच्छ-प्रश्न किया । + च-और । उवाच-कहां कि। याज्ञवल्क्य हे याज्ञवल्क्य !! मद्रपु-मद्रदेशों में । वयम्-हम सय । चरका व्रत करनेवाले विद्यार्थी होकर । पर्यवजाम-पर्यटन करते भये ! + पुनः फिर । ते वे हम लोग । काप्यस्य-कपि- गोतवाले। पतञ्चलस्यस्पताल केगृहान्-घर को । ऐमजाते भये । तस्य-उस पतञ्चल की । दुहिता कन्या । गन्धर्वगृ- हीता श्रासीत-गन्धर्वगृहीत थी याने उसको गन्धर्व लगा था। तम्-उस गन्धर्व से । + वयम् हम लोगों ने । अपृच्छाम= पूछा । त्वम्-तू । का कौन । असिन्है । + तदा-तत्र । सः- उस गन्धर्व ने । इति ऐसा । अवचीत्-कहा कि । + अहम्- मैं । प्राझिरसायाङ्गिरप गोत्रवाला । सुधन्वा-सुधन्वानाम वाला ह । तम्-उस गन्धर्व से । यदा-अब । वयम् हम लोगों ने । लोकानाम् लोकों के । अन्तान्-अन्त को। अपृच्छाम-पूछा । अथ-ौर । एनम्-उस से । अम= कहा कि । पारिक्षिताः-परिक्षित वंश के लोग। क-कहां । अभवन -गये । + तदास्तव । + सा उसने । + अनचीत्- सब वृत्तान्त कहा । + इदानीम-अथ । + अहम् -मैं । त्वा तुझ याज्ञवल्क्य से । पृच्छामि-मूछता हूँ कि । पारिक्षिता परिक्षित वंश के लोग । क-कहां । अभवन् गये। याज्ञवल्क्य% है याज्ञवल्क्य!। पारिक्षिताः परिक्षित वंश के लोग । क-कहीं। अभधन-जाते भये । इति-ऐसा मेरा प्रश्न है।