३७० बृहदारण्यकोपनिपद् स० प्रतिपेदे-उत्तर दिया कि । यावन्तः जितने । वैश्वदेवस्य- विश्वेदेवों के। निविदि-मन्त्रों में । + सन्ति-लिखे हैं। तावन्त:-उतने ही। उच्यन्ते-कहे जाते हैं।+च-यौर। इमा- ये । त्रयः तीन । च-औरत्री-तीन ।च-ौर । त्रयान्तीन । शता-सौ । च और । त्री-तीन । सहस्त्र-हगार हैं। इति=ऐसा । + श्रुत्वा-सुनकर । + शाकल्यः श्राह-शाकल्य विदग्ध ने कहा। ओम्-हां ठीक है । + पुनः फिर । + सम्=शाकल्य विदग्ध ने । + पप्रच्छ-पूछा कि । याज्ञवल्क्य हे याज्ञवल्क्य !। कति एवम् इनके अन्तर्गत कितने । देवाः देव हैं । इति-इसपर । + यात्र- वल्क्य: याज्ञवल्क्य ने । + आह-उत्तर दिया । त्रस्त्रिंशत्- तेंतीस हैं । इति=ऐसा । + श्रुत्वा-सुनकर । शाकल्यः शाकल्य ने । आह कहा । ओम्=हां ठोक है । पुनः फिर ।+ शाकल्यः- शाकल्य विदग्ध ने । उवाचकहा कि । याज्ञवल्क्य हे याज्ञ- वल्क्य ! । कति एव-उनके अन्तर्गत कितने । देवाः देवता है। इति इस पर । + याज्ञवल्क्य: याज्ञवल्क्य ने । + आह-उत्तर दिया । पट-छः हैं । इति=ऐसा सुनकर । शाकल्यः शाकल्य ने । ग्राहक । ओम्-हां ठीक है । पुन:फिर । + शाकल्यः- शाकल्य ने । उवाच-पूछा । + याज्ञवल्क्ष्य-हे याज्ञवल्क्य !। कति एव-कितने उनके अन्तर्गत । देवाः देवता हैं । इति ऐसा सुन कर । याज्ञवल्क्यः हयाज्ञवल्क्य ने स्पष्ट । उवाच-कहा। त्रयः तीन देवता हैं। इति-इस पर । शाकल्यः-शाकल्य ने । + श्राहकहा । ओम्=हां ठोक है। + शाकल्यः शाकल्य ने । उवाच-पूछा । याज्ञवल्क्य हे याज्ञवल्क्य ! । कति एव-कितने उसके अन्तर्गत । देवाः देवता हैं । इति-ऐसा सुन कर । याश- वल्क्य: याज्ञवल्क्य ने । ह-स्पष्ट । उवाच कहा । द्वौ-दो हैं। इति-ऐसा सुन कर । शाकल्यः शाकल्य ने। + आह-कहा।
पृष्ठ:बृहदारण्यकोपनिषद् सटीक.djvu/३९२
दिखावट